महिला वकील के आरोप के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने तीन जजों की एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई है, जो इस आरोप की जांच करेगी। वकील एमएल शर्मा ने कहा कि वे मामले को लेकर गंभीर हैं। शर्मा ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पीठ ने कोई आदेश पारित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को आरोप की जांच करवानी चाहिए ।
रिपोर्ट के मुताबिक युवा वकील ने इसी साल कोलकाता स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिशियल साइंस से ग्रेजुएशन किया है। पीड़िता ने 6 अक्टूबर को पहले जर्नल ऑफ इंडिया के लिए लिखे ब्लॉग में आरोप लगाया। इसके बाद उसने एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में जज पर यह आरोप दोहराए। इस वकील ने बताया कि पहले मैंने कायराना फैसला किया था कि अपने उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी लड़ाई नहीं लड़ूंगी, लेकिन बाद में मुझे लगा कि यह लड़ाई लड़नी चाहिए क्योंकि यह मेरी जिम्मेदारी है कि दूसरी लड़कियों को इस तरह की परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़े। पीड़िता ने कहा कि जज की हैसियत के कारण वह अब तक चुप रही।
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