नई दिल्ली। आज सेना दिवस देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने की प्रेरणा
का पवित्र अवसर है। यह देश के जांबाज रणबांकुरों की शहादत पर गर्व करने का
एक विशेष मौका भी है। आज दिल्ली कैंट के गैरीसन ग्राउंड में आर्मी डे परेड
में सेना अपना दम खम देश और पूरी दुनिया को दिखाया। भारतीय सेनाध्यक्ष
जनरल विक्रम सिंह ने कहा है कि सेना भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए सदैव
तैयार है। अलग-अलग तरह की चुनौतियों के मद्देनजर हमारी उच्च स्तर की
तैयारियां हैं। मैं पूरे देश को भरोसा देना चाहता हूं कि हर मुश्किल से
लड़ने में भारतीय सेना सक्षम है। मानवीय अधिकारों के नजरिए से भारतीय सेना
का स्थान दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है।
यह देश का 64 वां सेना दिवस है। सेना दिवस दरअसल सेना की आजादी का जश्न
है। 15 जनवरी 1948 को पहली बार के एम करियप्पा को देश का पहला लेफ्टीनेंट
जनरल घोषित किया गया। इसके पहले ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर इस पद पर थे।
इस समय 11 लाख 30 हजार भारतीय सैनिक थल सेना में अलग-अलग पदों पर कार्यरत
हैं, जबकि 1948 में सेना में तकरीबन दो लाख सैनिक थे।
पहले की बात कौन करे आज भी हम बाहरी दुश्मनों के साथ ही आंतरिक
समस्याओं में भी सेना के ही सहारे हैं। बाढ़ आ जाए तो सेना, आतंकियों से
लड़ना हो तो सेना, सरकारी कर्मचारी हड़ताल कर दें तो सेना, पुल टूट जाए तो
सेना, चुनाव कराने हों तो सेना, तीर्थ यात्राओं की सुरक्षा भी सेना के
हवाले है। हमारे जवान जागते हैं तो हम चैन से सोते हैं। चलिए हम भारतीय थल
सेना की पांच शौर्य गाथाएं आपको याद दिलाते हैं।
हैदराबाद का विलय
भारत के बंटवारे के बाद हैदराबाद के निजाम ने स्वतंत्र रहने की जिद ठान
रखी थी। इसके बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 12 सितंबर 1948 को हैदराबाद की
सुरक्षा के लिए भेजा। महज पांच दिन में ही निजाम परास्त और सेना के अगुवा
मेजर जनरल जयन्तो नाथ चौधरी को सैन्य शासक घोषित कर दिया गया।
प्रथम कश्मीर युद्ध
एक तरफ आजादी का जश्न तो दूसरे ही पल कश्मीर में भारत-पाक के बीच युद्ध
शुरू। हरि सिंह की सहायता की मांग पर सरकार ने सेना को भेजा और भारतीय थल
सेना अपने देश के लिए उन लोगों से ही लोहा लिया जो चंद रोज पहले अपने साथी
हुआ करते थे।
संयुक्त राष्ट्र संघ में सेना का अहम योगदान
भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शांति बहाली उपायों में अहम
भागीदारी निभाई। अंगोला, कंबोडिया, साइप्रस, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो ,
अल साल्वाडोर, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका
और वियतनाम।
गोवा, दमन और दीव का विलय
ब्रिटिश और फ्रांस द्वारा अपने सभी औपनिवेशिक अधिकारों को समाप्त करने
के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप, गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन
रहा। पुर्तगालियों द्वारा बार बार बातचीत को अस्वीकार कर देने पर सेना ने
महज 26 घंटे चले युद्ध के बाद गोवा, दमन और दीव को सुरक्षित आजाद करा लिया।
और उनको भारत का अंग घोषित कर दिया गया।
1971 में बांग्लादेश की स्थापना
लेफ्टिनेंट जनरल जे एस अरोड़ा भारतीय सेना के वह नायक हैं जिनके सामने
पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी ने 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया
था। इस आत्मसमर्पण के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश नाम का एक
स्वतंत्र राष्ट्र बना था। भारतीय सेना का यह गौरव हमारे मस्तक का तिलक है।
करगिल युद्ध
मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना के बाद बटालिक सेक्टर में
ले. सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमले ने भारतीय इलाके में घुसपैठियों की
मौजूदगी का पता दिया। इसके बाद भारतीय सेना ने धोखे के खिलाफ ऐसा शौर्य
दिखाया कि 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी फतह पा ली गई। यही दिन अब करगिल
विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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