सोमवार, जनवरी 21, 2013

दूध के दांतों का 20 साल बाद भी होगा इस्तेमाल


अकसर लोगों के प्रियजन, पारिवारिक सदस्य या मित्र को जटिल बीमारी होती है, लेकिन इलाज के विकल्प सीमित होते हैं। दांतों के स्टैम सेल की खोज होने से ऊतक या किसी अंग के क्षरण वाली बीमारियों को ठीक करने की संभावना बढ़ गई है।
यह जानकारी स्टैमएड बायोटेक प्रोफेसर विवेक सग्गड़ ने होटल पार्क प्लाजा में आयोजित सग्गड़ डेंटल केयर एंड क्योर सेंटर की प्रेस कॉन्फ्रेस में दी। सग्गड़ डेंटल केयर के स्टैमएड बायोटेक प्रो. विवेक सग्गड़ व प्रोफेसर विकास जिंदल ने जिंदल स्माइल क्लीनिक के साथ मिल कर स्टैमएडकनेक्ट क्लीनिक्स की शुरुआत कर लुधियाना में डेंटल स्टैम सेल बैंकिंग सुविधा की शुरुआत की है। डेंटल स्टैम सेल बैंकिंग के लिए 21 साल में 1. 20 लाख रुपये का खर्च आएगा। इस राशि को एकमुश्त या वार्षिक इंस्टालमेंट में जमा करवाया जा सकता है।
स्टैम सेल्स की विशेषता होती है कि वह अपने आप नई कोशिकाओं का निर्माण करने लगती हैं, जिनका उपयोग कर जटिल बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। बोन मैरो की जगह दांतों से स्टैम सेल निकालना कहीं अधिक आसान तरीका है। दांतों के पल्प में स्टैम सेल्स होती हैं, जिन्हें डेंटल पल्प स्टैम सेल्स कहा जाता है। सबसे अच्छी डेंटल पल्प स्टैम सेल्स बेबी टीथ या दूध के दांतों में पाई जाती हैं। दांतों के पल्प से निकली स्टैम सेल्स से ठोस संरचनाओं का निर्माण संभव है जैसे कि हड्डी, दांतों के नए ऊतक, कार्टिलेज और मांसपेशियां।
इस अवसर पर स्टैमएड बायोटेक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शैलेष ने बताया, भारत के मेट्रो शहरों मुबई, दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे में इसकी शुरुआत हो चुकी है और भविष्य में चंडीगढ़, सूरत, जयपुर, कलकत्ता व आंध्रप्रदेश में होगी। उन्होंने बताया कि अभी तक देश में से 1200 लोग अपने स्टैम सेल स्टोर करवा चुके हैं। डेंटल पल्प स्टैम सेल बैंकिंग पांच से 12 साल तक के बच्चों के दूध के दांतों से संभव है। ब्रेसेस लगवाने वाले किशोर-किशोरियों के प्रीमोलन दांत निकालने ही पड़ते हैं, जिन्हें बैंक में रखा जा सकता है। वयस्क अपनी अक्ल दाढ़ या विजडम टीथ के माध्यम से सुविधा पा सकते हैं।

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