मंगलवार, मार्च 20, 2012

मां आखिर मां है

Gazala khan
औलाद के लिए सब कुछ सहने वाली मां का दर्जा शायद इसीलिए सबसे ऊपर दिया गया है। ऐसी ही एक मां को अपने आजन्मे बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए ढाई महीने सिर के बल खड़े होना पड़ा। यहां की जोआना क्रिस्टोनेक नामक महिला पिछले पांच महीने से गर्भवती थीं। उनके पेट में तिहरे बच्चे पल रहे थे। एक दिन अचानक समय से पहले ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई। अस्पताल में डॉक्टरों की काफी कोशिशों के बाद भी पहले बच्चे को बचाया न जा सका। हालांकि बाकी दोनों बच्चों को सकुशल पैदा कराने के लिए डॉक्टरों ने डिलीवरी प्रक्रिया रोक दी थी। डॉक्टरों ने महिला को हिदायत दी कि अगर वह अपनी भावी संतानों की जिंदगी चाहती हैं तो उन्हें सिर के बल खड़े रहना होगा। मां तो आखिर मां ही है। उसने अपने बच्चों की जिंदगी के लिए यह शर्त सहर्ष स्वीकार कर ली। 75 दिन यानी ढाई महीने तक सिर के बल खड़े होने के बाद उस महिला के जुड़वां बच्चे सकुशल पैदा हुए।

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