शनिवार, सितंबर 10, 2011

आजादी के 64 साल बाद पहली बार पढ़ी गई ईद की नमाज

MOHD SALEEM
ईद का मुबारक मौका। एक-दूसरे के गले लगते लोग। मुस्लिम भाइयों को मुबारकबाद देते हिंदू व सिख। इसमें आपको कुछ भी असामान्य नहीं दिख रहा होगा, लेकिन यह खुशी छोटी नहीं है। नजारा था यहां के बार्डर रोड स्थित जामा मस्जिद का, जहां मुस्लिम भाइयों ने आजादी के बाद पहली बार ईद की नमाज पढ़ी। दरअसल, देश के बंटवारे के बाद पंजाब के फाजिल्का से मुस्लिम पाकिस्तान चले गए। यहां की मस्जिद पर हिंदू परिवारों ने कब्जा कर लिया। पिछले 13 सालों से इस पर एक हिंदू कामरा परिवार का कब्जा था। वैसे तो वक्फ बोर्ड बराबर इस पर अपना दावा जताता रहा, लेकिन वह इस मसले को भाईचारे से हल करने का ही पक्षधर था। यही कारण रहा कि वक्फ बोर्ड इस मामले को कभी अदालत में नहीं गया। बोर्ड का यह भरोसा आखिरकार रंग लाया और आपसी बातचीत के बाद 31 दिसंबर, 2010 को कामरा परिवार ने खुशी-खुशी मस्जिद मुस्लिम भाइयों को सौंप दी।

इसी दिन पंजाब वक्फ बोर्ड के धार्मिक मामलों की कमेटी के चेयरमैन मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी के नेतृत्व में आजादी के बाद यहां पहली बार नमाज अदा की गई थी। बुधवार को यहां पहली बार ईद मनाई गई। नमाज अदा करने के बाद मस्जिद के इमाम मुहम्मद कमरुद्दीन अत्तारी ने उपस्थित लोगों से कहा-हिंदू भाइयों ने मुसलमानों की भावनाओं का कद्र करते हुए मस्जिद का कब्जा मुस्लिमों को सौंप दिया है। अब बस यही दुआ है कि यह भाईचारा इसी तरह सलामत रहे। इस अवसर पर मुस्लिम भाइयों के अलावा मस्जिद के एक हिस्से पर काबिज कामरा परिवार के सदस्य बिट्टू कामरा व उनके साथियों ने भी गले मिल उन्हें ईद की मुबारकबाद दी।

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