गुरुवार, सितंबर 30, 2010

सिखों ने कब्जे से आजाद कराई मस्जिद

अमृतसर से मलकीत सिंह वेरका की ग्राउंड रिपोर्टः देश के बंटवारे के समय वेरका गांव में रहने वाले सभी मुसलमान गांव छोड़कर चले गए। मेन रोड स्थित मस्जिद पर किसी व्यक्ति ने कब्जा कर लिया। धीरे-धीरे वहां भी मुस्लिम बसने लगे। 1960 तक इनकी जनसंख्या लगभग 300 हो गई। मस्जिद पर कब्जा होने के कारण उन्हें नमाज अदा करने के लिए अमृतसर आना पड़ता था। तब 15-20 लोगों ने अपनी फरियाद स्थानीय सिखों से की। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति ने मस्जिद पर कब्जा कर दोनों मुख्य द्वार बंद कर दिए हैं। उसने कहीं भैंसों का तबेला, कहीं मुर्गीखाना बना रखा है। वहीं पूरी मस्जिद में पशुओं का चारा बिखरा रहता है। उन्हें मस्जिद के अंदर पांव तक रखने नहीं दिया जाता। तब मुसलमान ग्रामवासियों को साथ लेकर सिखों ने डीसीपी और एसएसपी से शिकायत की। चार मई 1985 को वेरका की पुलिस चौकी में सिख समुदाय के लोगों व मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच फैसला हुआ कि मस्जिद मुस्लिम समुदाय के हवाले की जाएगी। आखिरकार मुस्लिमों को करीब 40 साल बाद यह मस्जिद मिल ही गई। मनजीत सिंह वेरका कहते हैं कि उनके पिता कामरेड जगीर सिंह ने उन्हें हर धर्म का सम्मान करना सिखाया था और वही संदेश उन्होंने बाकी गांव वालों को दिया। आज मौलवी मसीउर रहमान के नेतृत्व में यहां रोजाना पांच बार नमाज अदा होती है। उनका कहना है कि मस्जिद मुस्लिमों को मिल जाने से जहां उन्हें नमाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ रहा, बल्कि सिख समुदाय ने उन्हें मस्जिद दिला कर इंसानियत व सद्भावना का परिचय दिया था।

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