यदि आप अधिक समय तक जवान और खूबसूरत रहना चाहते हैं तो अभी से गर्भासन करना शुरू कर दें। गर्भासन से चेहरे की चमक लंबे समय तक बनी रहती है। इसके नियमित अभ्यास से चेहरे पर झुर्रियां लंबे समय तक नहीं आती। साथ ही इस आसन से उदर संबंधी कई रोग दूर होते हैं।
गर्भासन करने की विधि
समतल स्थान पर कंबल बिछाकर बैठ जाएं। पद्मासन में आ जाएं। इसके बाद अपने हाथों को जांघ व पिंडलियों के बीच से फसां कर कोहनियों तक बाहर निकालें और दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए दोनों घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं तथा शरीर को संतुलित करते हुए दोनों हाथों से अपने कान को पकड़े। आसन के इस स्थिति में आने पर शरीर का पूरा भार नितम्ब पर रहता है। इस स्थिति में 1 से 5 मिनट तक रहें और पुनः सामान्य स्थिति में आ जाए।ं
गर्भासन के लिए सावधानी
इस आसन को करना शुरु-शुरु में कठिन होता है, परन्तु कुछ दिनों तक इस आसन का अभ्यास करने से यह आसन हो जाता है। अतः निरंतर अभ्यास से अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
गर्भासन के लाभ
इस आसन से रीढ़ की हड्डी मजबूत व लचीली होती है। शरीर की नसों और मांसपेशियों के दोषों को दूर करता है। यह आसन शरीर को हल्का करता है तथा रक्त संचार को सही करता है। यह भूख को बढ़ाता है तथा स्नायु की दुर्बलता को दूर करता है। यह आसन स्त्रियों के लिए अधिक लाभकारी है। इससे गर्भाशय के सभी रोग को ठीक करता है। कम उम्र की लड़कियां अगर इस आसन को करें तो उन्हें गर्भाशय से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की बीमारी कभी नहीं होती। इस आसन को स्त्री प्रसव के 40 दिन बाद पुनरू करने लगे तो कुछ ही महीनों में शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है और मुंख की सुन्दरता लौट आती है। इस आसन से स्त्री-पुरुष दोनों अधिक समय जवान रह सकते हैं।
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