यह बात है 1420 ई. में दक्षिण भारत के राजनगर राज्य के राजा महादेव राव हुआ करते थे। उनके दरबार में उनका मंत्री तोता राम हुआ करता था। तोता राम हंसते-हंसते गम्भीर से गम्भीर विषय को भी हल कर देते थे।तोता राम का जन्म कानपुर जिले में गंगा नदी के किनारे बसे बिठूर नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का स्वर्गवास उसके जन्म से पहले ही हो गया थो। बचपन में लोग उन्हें 'रामूÓ के नाम से पुकारते थे। उसका पालन पोषण अपनी ननिहाल 'मंधनाÓ में हुआ था। बाद में लोग उन्हें तोता राम के नाम से पुकारने लगे।राजनगर के राजा के दरबार में नौकरी पाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। कई बार उन्हें और उनके परिवार को भूखा भी रहना पड़ा, पर उन्होंने हार नहीं मानी और राजा महादेव राव के दरबार में तोता राम को एक दिन नौकरी मिल गयी। राजा के दरबार में तोता राम की गिनती सातवें रत्न को रूप में होती थी।तोता राम की पत्नी कलावती को गुलाब के फूलों से बहुत प्यार था। उसका बेटा राजा के बाग रोज एक गुलाब चोरी से तोड़ लाता था। कलावती उसे अपने बालों में लगा लेती थी। दरबार में तोता राम की बढ़ती छवि से उसके शत्रु हो गये थे। उन्हें किसी तरह यह बात पता चल गई, लेकिन राजा से कहने का साहस किसी में नहीं था। वह जानते थे कि तोता राम अपनी सूझबूझ के बल पर अपने बेटे को बचा लेगा और उन्हें बेवकूफ बनना पड़ेगा। उन्होंने सोचा कि कलावती के बेटे को रंगे हाथों पकडऩा चाहिए। एक दिन उन्हें अपने जासूसों से पता चला कि तोता राम का बेटा फूल तोडऩे के लिए बगीचे में आया हुआ है। फिर क्या था, उन्होंने राजा से शिकायत की ओर कहा, महाराज, हम अभी उस चोर को आपके सामने उपस्थित करेंगे।वे लोग बगीचे के मुख्य द्वार पर जाकर खड़े हो गए। बाग के दूसरे सभी द्वारों पर भी आदमी खड़े कर दिए गए। उन्हें तोता राम के बेटे के पकड़े जाने का इतना यकीन था कि वे तोता राम को भी अपने साथ ले गए थे। उन्होंने बड़ा रस ले लेकर उसे बताया कि अभी उसका बेटा रंगे हाथों पकड़ा जाएगा और उसे राजा के सामने पेश किया जाएगा। उनमें से एक बोला, कहो तोता राम अब तुम्हें क्या कहना है? मुझे क्या कहना है? तोता राम ने चिल्लाते हुए कहा, मेरे बेटे के पास अपनी बात कहने के लिए जबान है। वह स्वयं ही जो कहना होगा, कह लेगा। मेरा अपना विचार तो यह है कि वह अवश्य मेरी पत्नी की दवा के लिए जड़ें लेने गया होगा, गुलाब का फूल लेने नहीं। तोता राम के बेटे ने बगीचे के अंदर ये शब्द सुन लिए, जिन्हें तोता राम ने उसे सुनाने के लिए ही ऊंची आवाज में कहा था। वह अपने पिता की बात का मतलब समझ गया। उसने झट से गुलाब का फूल मुंह में डाल लिया और उसे खा गया। फिर उसने बाग में से कुछ जड़ें इक_ी की ओर उन्हें झोली में डालकर बाग के द्वार तक पहुंचा। तोता राम के शत्रु दरबारियों ने उसे एकदम पकड़ लिया और उसे राजा के पास ले गए।महाराज, इसने अपनी झोली में आपके बाग से चुराए गए गुलाब के फूल छिपा रखे हैं। दरबारियों ने कहा। गुलाब के फूल, कैसे गुलाब के फूल? तोता राम के बेटे ने कहा, ये तो मेरी मां की दवा के लिए जड़ें हैं। उसने झोली खोलकर जड़ें दिखा दीं। दरबारियों के सिर शर्म से झुक गए। राजा ने तोता राम से क्षमा मांगी और उसके बेटे को बहुत-सी भेंट देकर घर भेज दिया।
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