नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों का बिगुल बजने के साथ ही
भाजपा की अंदरुनी लड़ाई एक बार फिर सतह पर आ गई है। नई पार्टियों के साथ
गठबंधन से लेकर टिकट तय करने के तरीके पर वरिष्ठ नेता सवाल उठाने लगे हैं।
केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज ने
पार्टी नेतृत्व के फैसलों पर गहरी नाराजगी जताई। मुरली मनोहर जोशी जहां
नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लड़ने की चर्चा से परेशान हैं, तो सुषमा स्वराज
दागी नेताओं की पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर। वैसे, शनिवार को हुई बैठक
के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस
येद्दयुरप्पा और वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा समेत छह राज्यों में कुल 52
उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी गई।
चुनाव समिति की बैठक में सबसे पहले मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को घेरने की कोशिश की। वाराणसी से नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने की चर्चा से नाराज जोशी ने कहा कि मीडिया में आ रही ऐसी खबरों का पार्टी द्वारा आधिकारिक रूप से खंडन क्यों नहीं किया जा रहा है। लेकिन राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि जब तक कोई नेता ऐसा बयान नहीं देता है, उसका आधिकारिक रूप से खंडन नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि मीडिया में छप रही हर खबर का खंडन करना न तो संभव है और न ही उचित होगा।
गौरतलब है कि सत्ता की दहलीज तक पहुंचने के लिए पार्टी सबसे अधिक जोर उत्तर प्रदेश फतह करने पर दे रही है। इसी कारण नरेंद्र मोदी को वाराणसी से लड़ाने की तैयारी है। इसके लिए जोशी को दूसरी सीट का प्रस्ताव भी दिया जा चुका है। लेकिन वह वाराणसी से बाहर जाने को तैयार नहीं है। वाराणसी की पेंच के कारण ही पार्टी उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारों पर फैसला नहीं कर पा रही है।
मुरली मनोहर जोशी के बाद सीईसी की बैठक में दूसरी आपत्ति पार्टियों से साथ हो रहे गठबंधन पर सुषमा स्वराज ने उठाई। सुषमा का कहना था कि किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन का फैसला केवल संसदीय बोर्ड में लिया जाना चाहिए। लेकिन संसदीय बोर्ड को दरकिनार कर ये फैसले कैसे हो रहे हैं और कौन ले रहा है। सुषमा इसके पहले हरियाणा में हजकां के रास्ते विनोद शर्मा के राजग में आने का रास्ता बंद कर चुकी हैं। विनोद शर्मा जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा के पिता हैं। इसी तरह कर्नाटक में सुषमा श्रीरामुलू की पार्टी बीएसआर कांग्रेस के भाजपा में विलय पर खुली नाराजगी भी जताई थी।
ध्यान देने की बात है कि पिछले साल नरेंद्र मोदी को केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष और बाद में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते समय भी लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के फैसले पर इसी तरह के सवाल उठाए थे। लेकिन उस समय आरएसएस ने मोदी के नाम पर मुहर लगाकर सबको चुप करा दिया था।
शुक्रवार को बेंगलूर में प्रतिनिधि सभा की बैठक में मोदी की तारीफ कर संघ ने भाजपा नेताओं को विरोध न करने के साफ संकेत दिए, लेकिन शनिवार की बैठक में विवाद फिर सतह पर आ गए। इस बैठक के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत राजनाथ सिंह बेंगलूर में संघ की बैठक में एक दिन के लिए हिस्सा लेने रवाना हो गए हैं। माना जा रहा है कि वहां भी इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
चुनाव समिति की बैठक में सबसे पहले मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को घेरने की कोशिश की। वाराणसी से नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने की चर्चा से नाराज जोशी ने कहा कि मीडिया में आ रही ऐसी खबरों का पार्टी द्वारा आधिकारिक रूप से खंडन क्यों नहीं किया जा रहा है। लेकिन राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि जब तक कोई नेता ऐसा बयान नहीं देता है, उसका आधिकारिक रूप से खंडन नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि मीडिया में छप रही हर खबर का खंडन करना न तो संभव है और न ही उचित होगा।
गौरतलब है कि सत्ता की दहलीज तक पहुंचने के लिए पार्टी सबसे अधिक जोर उत्तर प्रदेश फतह करने पर दे रही है। इसी कारण नरेंद्र मोदी को वाराणसी से लड़ाने की तैयारी है। इसके लिए जोशी को दूसरी सीट का प्रस्ताव भी दिया जा चुका है। लेकिन वह वाराणसी से बाहर जाने को तैयार नहीं है। वाराणसी की पेंच के कारण ही पार्टी उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारों पर फैसला नहीं कर पा रही है।
मुरली मनोहर जोशी के बाद सीईसी की बैठक में दूसरी आपत्ति पार्टियों से साथ हो रहे गठबंधन पर सुषमा स्वराज ने उठाई। सुषमा का कहना था कि किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन का फैसला केवल संसदीय बोर्ड में लिया जाना चाहिए। लेकिन संसदीय बोर्ड को दरकिनार कर ये फैसले कैसे हो रहे हैं और कौन ले रहा है। सुषमा इसके पहले हरियाणा में हजकां के रास्ते विनोद शर्मा के राजग में आने का रास्ता बंद कर चुकी हैं। विनोद शर्मा जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा के पिता हैं। इसी तरह कर्नाटक में सुषमा श्रीरामुलू की पार्टी बीएसआर कांग्रेस के भाजपा में विलय पर खुली नाराजगी भी जताई थी।
ध्यान देने की बात है कि पिछले साल नरेंद्र मोदी को केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष और बाद में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते समय भी लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के फैसले पर इसी तरह के सवाल उठाए थे। लेकिन उस समय आरएसएस ने मोदी के नाम पर मुहर लगाकर सबको चुप करा दिया था।
शुक्रवार को बेंगलूर में प्रतिनिधि सभा की बैठक में मोदी की तारीफ कर संघ ने भाजपा नेताओं को विरोध न करने के साफ संकेत दिए, लेकिन शनिवार की बैठक में विवाद फिर सतह पर आ गए। इस बैठक के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत राजनाथ सिंह बेंगलूर में संघ की बैठक में एक दिन के लिए हिस्सा लेने रवाना हो गए हैं। माना जा रहा है कि वहां भी इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
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