शुक्रवार, मार्च 07, 2014

आइपीएस अफसर से दोस्ती में यूपी सरकार की हुई किरकिरी

कानपुर, डॉ. राघवेन्द्र चड्ढ़ा। एक अतिउत्साही आइपीएस से दोस्ती में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी किरकिरी करा ली। कानपुर में तैनाती के समय से ही उनके अतिउत्साह में लिए गए फैसलों को नजर अंदाज करती आ रही सरकार की आंखें चुनावी माहौल में भी नहीं खुली, नतीजा मामले को अदालत को संज्ञान लेना पड़ा।
अब सरकार को आम आदमी का कोपभाजन बनना पड़ रहा है, जिसका खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। सरकार की बिगड़ती छवि से खफा समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया मुलायम सिंह यादव की फटकार के बाद भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डाक्टरों की हड़ताल से हो रही मौतों को नजर अंदाज कर चहेते के अहं की फिक्र की। गौरतलब है कि डाक्टरों की हालिया हड़ताल पहला वाक्या नहीं है, जो सूबे के प्रशासनिक अफसरों के लिए मुसीबत बना हो।
सरकार की सरपरस्ती के कारण एसएसपी यशस्वी यादव ने प्रशासनिक सीमाओं को लांघने में भी गुरेज नहीं किया। कई मौके आए जब प्रशासनिक अमले को उनकी मुसीबत को दूर करने में पसीना छूट गया। किसी की जुर्रत नहीं कि वह उनके इकबाल को चुनौती दे या फिर उनकी हद बताए। कानपुर के जीएसवीएम के जूनियर डाक्टरों की बेरहम से पिटाई और सख्त धाराओं में जेल भेजने के बाद उठे गुस्से के तूफान से भी बड़े अफसरों को दो-चार होना पड़ा। हड़ताल में पचास से ज्यादा लोगों की मौत के बाद भी सरकार को फिक्र चहेते अधिकारी के गुरूर को बनाए रखने की रही। इस मामले में बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने स्वत: संज्ञान में लिया और एसएसपी को हटाने का आदेश जारी किया गया।
डाक्टरों की हड़ताल कोई नया मामला नहीं है। मसला चाहे जुलाई में बजरिया में हुए बवाल पर एक पक्षीय कार्रवाई का हो या नवंबर में सनिगवां में दो पक्षों में विवाद के बाद सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने का।
कानपुर के एसएसपी यशस्वी वनमैन आर्मी की तरह काम कर रहे थे। प्रदेश के हाकिम से दोस्ती के कारण अपने अफसरों को भी कई मौकों पर नजर अंदाज किया। अफसर दो धड़ों में बंट गए, जिससे विकास कार्य भी बाधित होने लगे। जिसका दांव लगा उसने विकास से जुड़ी फाइलों को आपत्ति लगाकर रोक दिया। यह मुद्दा हाकिम के दरबार में कई बार उठा, लेकिन हर बार दोस्त का पलड़ा ही भारी रहा। इन्होंने आते ही पेट्रोल पंप मालिकों पर शिकंजा कसने की कोशिश की और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर पेट्रोल पंपों पर थानेदारों से छापे डलवाकर नमूने भरवाए। पंप मालिकों को हारकर अदालत की शरण लेनी पड़ी। इस प्रकरण पर तत्कालीन डीएम समीर वर्मा ने बाकायदा इस पर नाराजगी जताते हुए शासन को पत्र लिखा था। इसके बाद एसएसपी व डीएम में अंदरखाने तलवारें खिंच गई।
पीसीपीएनडीटी एक्ट:
एसएसपी की नजर डाक्टरों पर शुरू से थी। 19 फरवरी, 2013 को उन्होंने डीएम को पत्र भेजकर प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर शहर के सात नर्सिग होम के खिलाफ भ्रूण लिंग परीक्षण का मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। एडवाइजरी कमेटी की रिपोर्ट पर 23 फरवरी, 2013 को डीएम के अनुमोदन पर मुकदमे दर्ज हुए और सात नर्सिग होम के खिलाफ सील की कार्रवाई हुई। इस मामले पर बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री इंदीवर बाजपेयी के मुताबिक, इस मामले में राज्य की अपीलीय न्यायालय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कार्रवाई को सिरे से खारिज करते हुए स्टिंग आपरेशन फर्जी माना और जिलाधिकारी के विवेक पर सवाल उठाया। बाद में डीएम का आइपीएस से विवाद भी हुआ था। तत्कालीन मंडलायुक्त ने दोनों के बीच समझौता भी कराया था।
फर्जी मेडिकोलीगल:
डाक्टरों का फिर स्टिंग कराया गया। इसके आधार पर ही पुलिस ने 24 अगस्त, 2013 को रुपये लेकर सरकारी डाक्टरों के खिलाफ फर्जी मेडिकोलीगल तैयार करने का मुकदमा दर्ज किया। इस मामले में उर्सला अस्पताल के अधीक्षक डा.शैलेंद्र तिवारी, ईएमओ डा.नासिर हुसैन, संविदा कर्मी वीर प्रताप सिंह यादव व केपीएम के सोनोलॉजिस्ट डा. डीकेश्रीवास्तव को जेल भेजा था। सभी आरोपी जमानत पर हैं और मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
फर्जी पासपोर्ट मामला:
क्राइम ब्रांच ने चार जुलाई, 2013 को पासपोर्ट कार्यालय, जीटी रोड में छापा मारा। इसमें भी सामाजिक कार्यकर्ता के स्टिंग को आधार बनाया गया। क्राइम ब्रांच की टीम ने पासपोर्ट अधिकारी जयंत सरकार, जांच अधिकारी राकेश कुमार समेत 17 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में सभी आरोपियों को जमानत मिल गई। मामला अदालत में है। मसलन पासपोर्ट अधिकारी की गिरफ्तारी बिना केंद्र की अनुमति लिए की गई। जो सीडी दाखिल है, वह दो मार्च, 2008 की रात 9.05 बजे की है। सीडी में छेद कर साक्ष्य से छेड़छाड़ और पासपोर्ट बनाने का अधिकार लखनऊ कार्यालय को ही होने संबंधी दलीलें दी गई हैं।
भाजपाइयों से मारपीट:
25 दिसंबर को एसएसपी नवीन मार्केट के सामने अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म दिन मना रहे भाजपाइयों से भिड़ गए। मारपीट तक की नौबत आ गई थी। भाजपा के प्रदेश के नेता भी आ गए थे। किसी तरह मामला सुलटा।
व्यापारियों की सरेराह पिटाई:
इसके बाद एसएसपी ने लाल बंगला में पार्किग को लेकर व्यापारियों की पिटाई की। इसमें सपा के एक नेता ने मामला शांत कराया। ऐसे ही हर्ष नगर में व्यापारियों पर लाठियां चलाई गई।

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