अपने ही पति के साथ ये क्या कर डाला
श्रेया पटेल, भारतीय मूल इस 27 वर्षीय महिला पर
अपने पति की जला कर हत्या करने का आरोप लगा है और इसे अदालत ने 20 साल जेल
की सजा सुनाई है।
बताया जाता है कि श्रेया पटेल ने अपने पति बिमल पटेल को बाथरूम में मसाज करने के लिए बुलाया था। बाथरूम में आने के बाद श्रेया ने बिमल पर गैसोलीन डाल दी और आग लगा दिया।
इस दौरान बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं होने के कारण श्रेया पहले ही भाग निकली। बाद में बिमल को सैन एंटोनियो सैन्य अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
बताया जाता है कि श्रेया पटेल ने अपने पति बिमल पटेल को बाथरूम में मसाज करने के लिए बुलाया था। बाथरूम में आने के बाद श्रेया ने बिमल पर गैसोलीन डाल दी और आग लगा दिया।
इस दौरान बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं होने के कारण श्रेया पहले ही भाग निकली। बाद में बिमल को सैन एंटोनियो सैन्य अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
श्रेया किसी और शख्स से करती थी प्यार
बताया जाता है कि श्रेया पटेल का किसी और शख्स से
संबंध था, जिसके कारण वह अपने पति को रास्ते से हटाना चाहती थी। हालांकि
श्रेया ने दलील दी कि बिमल खुदकुशी करना चाहता था और इसके लिए उसने ही उसे
मजबूर किया था।
मामला 17 अप्रैल, 2012 का है जब श्रेया पटेल मसाज करने के बहाने अपने पति बिमल पटेल (29) को बाथरूम के बाथटब में ले गई और बाद में उस पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी।
अमेरिकी राज्य टेक्सास की एक अदालत ने श्रेया पटेल को दो वर्ष पूर्व अपने पति को घर में जान-बूझकर आग लगाकर जान से मारने के मामले में दोषी पाया है।
मामला 17 अप्रैल, 2012 का है जब श्रेया पटेल मसाज करने के बहाने अपने पति बिमल पटेल (29) को बाथरूम के बाथटब में ले गई और बाद में उस पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी।
अमेरिकी राज्य टेक्सास की एक अदालत ने श्रेया पटेल को दो वर्ष पूर्व अपने पति को घर में जान-बूझकर आग लगाकर जान से मारने के मामले में दोषी पाया है।
श्रेया को हुई 20 साल जेल की सजा
भारतीय मूल की इस 27 वर्षीय महिला को 20 साल जेल की
सजा सुनाई गई है। वह अब तक दो साल जेल में गुजार चुकी है और तीन साल में
पैरोल की हकदार हो जाएंगी।
अदालत कक्ष में जब यह फैसला सुनाया गया तो उसने इसे स्वीकार किया। हालांकि, उसका परिवार वहां नहीं था लेकिन स्थानीय दक्षिण एशियाई समुदाय के कई सदस्य वहां मौजूद थे, जो पिछले दो सप्ताह से मुकदमे के दौरान उसका समर्थन कर रहे थे।
अदालत कक्ष के बाहर बचाव पक्ष की वकील जैकी वूड ने कहा कि मुकदमे के लिए यह मामला काफी कठिन था क्योंकि ठोस सबूत नहीं था और सांस्कृतिक तथा भाषीय बाधाएं भी थी।
अदालत कक्ष में जब यह फैसला सुनाया गया तो उसने इसे स्वीकार किया। हालांकि, उसका परिवार वहां नहीं था लेकिन स्थानीय दक्षिण एशियाई समुदाय के कई सदस्य वहां मौजूद थे, जो पिछले दो सप्ताह से मुकदमे के दौरान उसका समर्थन कर रहे थे।
अदालत कक्ष के बाहर बचाव पक्ष की वकील जैकी वूड ने कहा कि मुकदमे के लिए यह मामला काफी कठिन था क्योंकि ठोस सबूत नहीं था और सांस्कृतिक तथा भाषीय बाधाएं भी थी।
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