शनिवार, मार्च 29, 2014

भाजपा में नई लड़ाई: पार्टी में शामिल होते ही साबिर को लेना पड़ रहा नकवी से लोहा

 नई दिल्‍ली. भाजपा में नए-नए शामिल हुए साबिर अली ने पार्टी के दिग्‍गज नेता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी को खुली चुनौती दी है। शनिवार को दैनिकभास्‍कर.कॉम से बातचीत में साबिर अली ने बताया कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और इससे वह आहत हैं। उन्‍होंने कहा कि वह बिहार भाजपा प्रभारी से आरोपों की जांच करवाने और जांच पूरी होने तक उनकी सदस्‍यता स्‍थगित रखने के लिए भी कह चुके हैं। अली ने आरोप साबित होने पर राजनीति से संन्‍यास लेने की बात कही और यह भी कहा कि अगर साबित नहीं होने पर आरोप लगाने वाले को भी नैतिक जिम्‍मेदारी लेनी चाहिए। इसके बाद उन्‍होंने बिहार भाजपा के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और नकवी को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी (देखें ऊपर तस्‍वीर में)।
 
मोदी की तारीफ करने के चलते जदयू से निकाले जाने के बाद साबिर ने शुक्रवार को भाजपा की सदस्‍यता ली। लेकिन कुछ ही घंटे बाद पार्टी नेता नकवी ने ट्वीट कर उन्‍हें आतंकी भटकल का दोस्‍त बता दिया और यह तक कह दिया कि जल्‍द ही पार्टी में दाऊद भी शामिल हो जाएगा। 
 
शनिवार को यह पूछने पर कि नकवी ऐसा क्‍यों कर रहे हैं, अली ने दैनिकभास्‍कर.कॉम को बताया, '...क्‍योंकि उन्‍हें लग रहा है कि भाजपा में अब बड़ा चेहरा आ गया है।'   
 
जानें नकवी और अली के राजनीतिक कॅरिअर का तुलनात्‍मक ब्‍योरा 
 
मुख्‍तार अब्‍बास नकवी
उम्र: 56 साल।
रामपुर, उत्‍तर प्रदेश के निवासी हैं।
- बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। पार्टी का पक्ष रखने में माहिर और बीजेपी के प्रमुख मुस्लिम चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं।
- पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर 1980 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से उत्‍तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़े।
- 1989 में अयोध्‍या सीट से बतौर निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा।
- 1991 और 1993  में मऊ विधानसभा से चुनाव लड़े।
- पहली बार 1998 में रामपुर सीट से लोकसभा सांसद चुने गए। इसी साल सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्‍यमंत्री का पद मिला।
- वित्‍त, कॉमर्स और सूचना तकनीक पर बनी संसदीय समितियों के अलावा वक्‍फ बोर्ड्स के कामकाज के लिए बनी संयुक्‍त समिति के सदस्‍य रह चुके हैं।
- 2000 में नकवी को भारतीय जनता पार्टी का राष्‍ट्रीय सचिव बनाया गया था और जनवरी 2006 के बाद से वह पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष हैं।
 
साबिर अली
उम्र: 43 साल।
रक्‍सौल, बिहार के निवासी हैं।
- 2005 में लोक जनशक्ति पार्टी से राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत की।
- एलजेपी ने राज्यसभा सांसद बनाया।
- साबिर अली की पहचान बिजनसमैन के तौर पर रही है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह नीतीश कुमार को फंडिंग करते थे।
- 2011 में साबिर अली जेडीयू में शामिल हुए।
- इसके बाद जेडीयू की तरफ से बतौर राज्‍यसभा सांसद निर्वाचित हुए। पार्टी के मुस्लिम चेहरे और प्रवक्‍ता के तौर पर पहचान बनाई।
साबिर के लिए मुश्किल यह है कि बीजेपी उपाध्‍यक्ष मुख्तार अब्‍बास नकवी के बगावती तेवरों को संघ का भी पूरा समर्थन हासिल है। संघ ने सार्वजनिक तौर पर इस कदम का विरोध करने के साथ-साथ बीजेपी के कुछ प्रमुख नेताओं को भी अपने रुख से अवगत कराया है। सूत्रों की मानें तो संघ ने साफ-साफ बीजेपी लीडरशिप से कह दिया है कि जितनी जल्दी हो सके साबिर अली को बाहर का रास्‍ता दिखाया जाए। उधर, आरएसएस के मीडिया और जनसंपर्क मामलों के प्रभारी राम माधव ने टि्वटर पर लिखा, साबिर अली को बीजेपी में शामिल किए जाने की वजह से काफी नाराजगी पैदा हुई है। बीजेपी लीडरशिप को इस बात की जानकारी दे दी गई है कि कार्यकर्ता और लोगों की भावनाएं इस कदम के खिलाफ हैं।
 
भाजपा नेता बरबील पुंज और बजरंग दल के विनय कटियार ने भी अली को भाजपा में लिए जाने का खुले आम विरोध किया है।
मुतालिक की तरह साबिर अली भी होंगे बीजेपी से बाहर?
 
सूत्रों का कहना है कि विवाद बढ़ने के बाद अब बीजेपी पर साबिर अली की सदस्यता रद्द किए जाने का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में अगर प्रमोद मुतालिक वाले प्रकरण की ही तरह साबिर को भी बीजेपी से बाहर कर दिया जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। गौरतलब है कि हिंदू संगठन श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक को चंद रोज पहले ही बीजेपी में शामिल किया गया था। पार्टी के इस कदम पर अंदर और बाहर जबर्दस्‍त विवाद मचा था और इस वजह से शामिल किए जाने के पांच से छह घंटे के भीतर ही उन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया था। साबिर को मुतालिक की तरह बाहर किया जा सकता है, ऐसा मानने के पीछे कुछ मजबूत वजह भी है। मुतालिक का नाम मंगलोर के एक पब पर हुए हमला और महिलाओं से गलत बर्ताव में सामने आया था और इसी विवाद से उनकी सदस्‍यता गई। अब जबकि खुद नकवी कह रहे हैं कि साबिर आतंकवादी यासीन भटकल का दोस्‍त है और उसके तार अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाउद इब्राहिम से जुड़े हैं तो ऐसे में मामला ज्‍यादा गंभीर है।
 
सूत्रों का कहना है कि नकवी ने साबिर मामले में बीजेपी के पास लिखित में शिकायत दर्ज की है। बताया जा रहा है कि नकवी ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि साबिर अली के तार गुलशन कुमार हत्याकांड से जुड़े हैं और इस हत्याकांड को दाउद इब्राहिम के इशारे पर अंजाम दिया गया था। सूत्रों के अनुसार, नकवी ने कहा है कि साबिर अली की भटकल से दोस्ती है और दोनों का एक-दूसरे के घर आना-जाना रहा है।
 
 
क्‍या कहा था नकवी ने साबिर के बारे में
 
इससे पहले नकवी ने साबिर अली को आतंकवादी तक करार दे दिया था। उन्‍होंने टि्वटर पर लिखा था कि आतंकवादी यासीन भटकल के दोस्‍त को बीजेपी में शामिल कर लिया गया है। नकवी ने ट्वीट किया था, आतंकवादी भटकल का दोस्त बीजेपी में आ गया है...अब जल्द ही दाऊद भी आएगा।' इसके बाद नकवी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, 'साबिर अली का पार्टी में आना एक गलती है। मुझे नहीं लगता राजनाथ सिंह को उनका बैकग्राउंड पता होगा। गलती सुधारने में कुछ भी गलत नहीं है। हम जिन उसूलों के लिए लड़ रहे हैं, उनसे अगर कोई इत्तफाक नहीं रखता तो उसे बीजेपी का हिस्सा नहीं होना चाहिए।' नकवी ने बाद में अपने ट्वीट को हटा दिया।
 नकवी के बयान पर साबिर की प्रतिक्रिया
मुख्‍तार अब्‍बास नकवी द्वारा खुद को भटकल का दोस्‍त बताए जाने पर साबिर अली ने शुक्रवार को किसी तरह की तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी थी । साबिर ने कहा, 'इतना बड़ा देश है। लोग बोलते रहते हैं। अब किस-किस को जवाब दें।' दूसरी तरफ, मोदी की जमकर तारीफ करते हुए साबिर ने कहा, 'इस समय सिर्फ नरेंद्र मोदी में ही देश को एकजुट रखने और नई दिशा दिखाने की क्षमता है। मैं देश के मुसलमानों को नमो के पक्ष में एकजुट करूंगा। पिछले कुछ दिन गुजरात में बिताने के बाद मुझे यह विश्वास हो गया कि नमो के बारे में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं की बयानबाजी जनता की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है।'
जेडीयू में नहीं गली दाल तो आए बीजेपी में!
 
हाल के दिनो में जेडीयू के कई नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। इनमें साबिर अली के अलावा एन के सिंह भी शामिल हैं। दरअसल, साबिर, एन के सिंह और शिवानंद तिवारी को जेडीयू ने इस बार राज्‍यसभा का टिकट देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद पार्टी में इनके लिए कुछ खास नहीं बचा था। इसी के बाद उन्‍होंने जेडीयू छोड़कर बीजेपी का रुख किया था।
 
...तो क्‍या अब अगला नंबर नरेंद्र सिंह का है?
 
शिवानंद तिवारी के बाद अब सा‍बिर अली। हाल में जद(यू) को राष्‍ट्रीय स्‍तर के दो बड़े कद्दावर नेताओं से हाथ धोना पड़ा है। अभी पार्टी में और भी बागी हैं। इस कड़ी में अगला बड़ा नाम जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह का है। नरेंद्र खुले आम बागी तेवर दिखा चुके हैं। वह भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने। चंद रोज पहले उन्होंने खैरा में मंच से खुलेआम जदयू प्रत्याशी और विधानसभा के स्पीकर उदय नारायण चौधरी की तुलना नक्सलियों से कर दी। यह भी कहा- 'नीतीश जी जान लें कि जिस दिन मैं विरोध कर दूंगा उस दिन आपके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाएगी। अगर हार गए तो हमारे माथे पर बेल नहीं फोडि़एगा।'
 
नीतीश उदय नारायण चौधरी के समर्थन में ही चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। चौधरी भी मंच पर मौजूद थे। उन्‍होंने चौधरी को भी खुली चुनौती दे डाली। कहा- लोग उदय नारायण चौधरी को नक्सली कह रहे हैं। चौधरी जैसे एक सौ नक्सली जमुई की धरती पर पैदा हो जाएं तो भी जमुई का कुछ बिगड़ नहीं सकता है। हालांकि बाद में अपने को संभालते हुए उन्होंने कहा कि उदय नारायण चौधरी नक्सली नहीं हैं। 

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