शनिवार, मार्च 29, 2014

जेल से जारी है चुनाव का खेल, आयोग को निष्पक्ष चुनाव पर अंदेशा

वाराणसी। भारत निर्वाचन आयोग को ऐसी शिकायतें मिली हैं कि प्रदेश की जेलों में बंद माफिया व सफेदपोशों के पाले हुए गुर्गे धड़ल्ले से मोबाइल का प्रयोग कर अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में आयोग को चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होने का अंदेशा है।
इसके अलावा बाहुबली व उसके गुर्गे आपस में भिड़ भी सकते हैं। आयोग ने जिला मुख्यालयों को इस संबंध में एक पत्र लिखा है। पत्र के अनुसार चुनाव के नजदीक आते ही जेलों में बंद अपराधियों से मिलने वालों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। जेलकर्मियों के सहयोग व अपने प्रभाव से वह मोबाइल का खुलेआम प्रयोग कर रहे हैं। किसी न किसी पार्टी में निष्ठा रखने वाले जेलों में बंद माफिया मोबाइल व अपने गुर्गो के जरिए विरोधी पार्टियों के प्रत्याशियों को अपनी ग्रिप में लेने की कोशिश कर रहे हैं।
सूबे की विभिन्न जेलों में इस समय कई ऐसे बाहुबली व माफिया बंद हैं जिनका प्रदेश की राजनीति में अच्छा-खासा प्रभाव है। उनके इशारे पर राजनीति में तरह तरह के खेल होते हैं। इस समय जेलों में चर्चित विधायक मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह समेत उनके गुर्गे बंद हैं। माफिया डान अबू सलेम व सुभाष ठाकुर भले ही प्रदेश के बाहर की जेलों में हैं लेकिन उनके द्वारा भी प्रदेश के चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है। कई माफिया तो जेल से ही चुनावी अखाड़े में उतरने की तैयारी में हैं। ऐसे में वे जेल के अंदर से ही अपने विरोधियों व मतदाताओं पर दबाव डालने की कोशिश करेंगे।
निर्वाचन आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे नियमित रूप से जेल का निरीक्षण करें और जेल मैनुअल के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन कराकर साप्ताहिक रिपोर्ट आयोग को भेजें।

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