वाराणसी। बीएचयू कैंपस के कई कोनों में सुलग रहा आक्रोश पल-पल बदलते घटनाक्त्रम के साथ बीती देर रात उग्र हो गया। नौ दिनों से हड़ताल कर धरने पर बैठे रेजीडेंट डाक्टरों के प्रति भारी गुस्से का इजहार करते हुए विभिन्न संकायों के हजारों छात्रों ने उन्हें धरना स्थल पर ही घेर लिया। सैकड़ों छात्र, रेजीडेंटों के विरोध में वहीं धरने पर भी बैठ गए। यह विचित्र किंतु भयावह स्थिति देख बीएचयू प्रशासन के भी हाथ पांव फूल गए। आनन फानन विवि के रजिस्ट्रार प्रो जीएस यादव द्वारा जिला प्रशासन से बीएचयू कैंपस की कमान संभाल लेने की लिखित गुहार लगाई गई।
इस गुहारी खत के मिलते ही हरकत में आए जिला प्रशासन द्वारा सबसे पहले चिकित्सा विज्ञान संस्थान व अस्पताल परिसर में धारा 144 लगने की घोषणा कर दी गई, लाव लश्कर के साथ प्रशासनिक अधिकारी बीएचयू कैंपस की ओर चल दिए।
धरनास्थल पर डाक्टर्स लाउंज में डा ओमशंकर के नेतृत्व में चल रहे धरना के स्थल को पुलिस ने घेर लिया और उन्हें उठाने की कोशिश हुई मगर तभी मेडिकल की कई छात्राओं ने डा ओमशंकर को घेर लिया लिहाजा पुलिस पीछे हट गई। दूसरी ओर सैकड़ों छात्र धरना स्थल तक पहुंच गए। स्थिति विस्फोटक न होने पाए, इसलिए पुलिस के जवानों व सुरक्षा कर्मियों ने छात्रों को किसी तरह वहां से हटाया। हालांकि बाहर निकलकर छात्र लगातार नारेबाजी करते रहे। इस बीच जिला प्रशासन ने मौके पर महिला पुलिस को भी बुला लिया।
इसके बाद एडीएम सिटी व एसपी सिटी ने बीएचयू के अधिकारियों से पूरी स्थिति समझी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो राणा गोपाल सिंह व विधि सलाहकार प्रो अली मेंहदी को मौके पर बुलाया ताकि हड़ताली डाक्टरों को एक बार फिर एम्स की विधिक स्थिति से अवगत कराया जा सके। इसी बीच खदेड़ दिए गए छात्र बड़ी संख्या में एक बार फिर हड़तालियों के धरना स्थल से महज कुछ मीटर दूर चौतरफा घेरा बनाकर धरने पर बैठ गए। समाचार लिखे जाने तक तनाव के बीच विवि प्रशासन, पुलिस व प्रशासनिक अफसरों द्वारा हड़तालियों व क्रुद्ध छात्रों को समझाने का दौर जारी था।
मामला कहां से पहुंचा कहां
पहली मार्च: रात में इंटरनेट वॉयर को लेकर मेडिकोज व कला संकाय के छात्रों के बीच पथराव।
दो मार्च: रेजीडेंट हड़ताल पर।
तीन मार्च: अचानक बदला मुद्दा, रेजीडेंटों द्वारा एम्स की मांग, बीएचयू अस्पताल पर जड़ा ताला।
चार मार्च: एक डाक्टर निलंबित, तीन को नोटिस, एक निष्काषित।
पांच मार्च: नेत्र सर्जन अभिषेक चन्द्रा का इस्तीफा, बाद में स्वीकार।
आठ मार्च: आइएमएस बंद।
दस मार्च दिन: कई बार आमने सामने हुए रेजीडेंट व छात्र। जारी हड़ताल के दौरान 11 मरीजों की मौत।
दस मार्च रात:बेकाबू हालात के बीच बीएचयू कैंपस, जिला प्रशासन के हवाले। तनाव कायम, 144 लागू।
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