शनिवार, मार्च 08, 2014

नौसेना फिर हादसे का शिकार, परीक्षण के दौरान अफसर की मौत

नई दिल्ली  एक के बाद एक हो रहे हादसों ने देश के समुद्री रक्षातंत्र को हिला कर रख दिया है। हादसों को लेकर नौसेना अध्यक्ष एडमिरल डीके जोशी के इस्तीफे के महज 10 दिन के भीतर एक और दुर्घटना ने नौसेना को झकझोर दिया है। नौसेना में शामिल होने को तैयार युद्धपोत में मुंबई के नजदीक हुए गैस रिसाव ने कमांडर रैंक के एक अधिकारी की जान ले ली, जबकि दो अन्य को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। मझगांव डॉक लिमिटेड [एमडीएल] में हुई इस दुर्घटना के साथ ही सात महीने में अलग-अलग हादसों में मरने वाले नौसैनिकों का आंकड़ा 21 पहुंच गया है। भाजपा ने रक्षा खरीद में घोटाले का आरोप लगाते हुए रक्षा मंत्री एके एंटनी के इस्तीफे की मांग की है।
सार्वजनिक क्षेत्र की पोत निर्माण कंपनी एमडीएल द्वारा मुंबई बंदरगाह के नजदीक दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर युद्धपोत के इंजन रूम में किए जा रहे अग्निशमन प्रणाली परीक्षण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड गैस का रिसाव हुआ था। एमडीएल के मुताबिक, पोत पर मौजूद कमांडर कुंतल वाधवा मास्क नहीं लगाए थे, जिससे उनके फेफड़ों में ज्यादा मात्रा में गैस पहुंच गई। उनकी मौत अस्पताल ले जाते वक्त हुई। दो अन्य नौसैनिक भी इसकी चपेट में आए। दोनों को उपचार के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। दिल्ली के वाधवा अगले कुछ हफ्तों में नौसेना को मिलने वाले युद्धपोत की इंजीनियरिंग प्रणाली की जांच के लिए तैनात थे। शुरुआती जांच में पता चला है कि परीक्षण के दौरान अग्निशमन उपकरण का वाल्व फट गया, जिससे गैस रिसाव हुआ। नौसेना और शिपयार्ड ने हादसे की जांच के लिए अलग-अलग बोर्ड का गठन किया है।
भाजपा ने हादसे के लिए केंद्र की संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 11 महीने में यह 11वीं बड़ी दुर्घटना है। कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने नौसेना को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। रक्षा मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी हादसे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। नौसैनिक युद्धपोत निर्माण परियोजना प्रोजेक्ट 15-ए के तहत बन रहे कोलकाता श्रेणी के ध्वंसक पोत [फिलहाल नाम यार्ड-12701] की चाबी अगले माह नौसेना को सौंपी जानी थी। इसके बाद जून में इसकी कमीशनिंग की योजना थी। वर्षो के इंतजार के बाद बनकर तैयार हुआ यह युद्धपोत अपनी श्रेणी का अगुआ पोत था। नौसेना के लिए 6800 टन वजनी युद्धपोत निर्माण की कड़ी में आइएनएसएस चेन्नई और कोच्चि नाम के जंगी पोत भी बनाए जाने हैं। इसे भारतीय नौसेना के आधुनिकतम युद्धपोत की श्रेणी में तैयार किया जाना था।
परियोजना में लेट-लतीफी का आलम यह है कि 2010 में नौसेना को मिलने वाला इस श्रेणी का पहला पोत अब तक नहीं मिल पाया है। प्रोजक्ट-15ए के तहत बन रहे युद्धपोतों में यूक्रेन से हासिल गैस आधारित इंजन लगा है। पिछले सात महीने में नौसेना में छोटे-बड़े करीब एक दर्जन हादसे हो चुके हैं। पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरत्न में 26 फरवरी को दो नौसेना अधिकारियों की मौत हो गई थी। इसके बाद हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए एडमिरल डीके जोशी ने नौसेना प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था। अगस्त, 2013 में हुए सिंधुरक्षक पनडुब्बी हादसे में 18 नौसैनिकों की मौत हो गई थी।
'हर रक्षा खरीद में कांग्रेस का स्वार्थ रहता है। पारदर्शी खरीद प्रणाली के बजाय रक्षा मंत्री घोटाला खुलने पर सौदा रद कर देते हैं। इससे तीनों सेनाओं की रक्षा तैयारियों पर बुरा असर पड़ रहा है।'
-प्रकाश जावड़ेकर, भाजपा प्रवक्ता
'हादसे के कारणों की पड़ताल के लिए नौसेना ने जांच बोर्ड का गठन कर दिया है। जांच में एमडीएल के प्रतिनिधि भी रहेंगे। रक्षा उत्पाद विभाग ने भी एमडीएल से दुर्घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।'

कोई टिप्पणी नहीं: