कई नामों पर लटक रही तलवार
लोकसभा के चुनावी रण में भाजपा और कांग्रेस पार्टी से टिकट लेकर फिर दमखम आजमाने को आतुर राजस्थान के कुछ सांसदों को निराशा हाथ लग सकती है।
दोनों ही पार्टियों की ओर से लिए गए सीटवार फीडबैक में कुछ सांसदों का प्रदर्शन उचित नहीं पाया गया, जिससे उनके नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है। भाजपा के चार सांसदों में से तीन नामों पर संशय बना हुआ है और कांग्रेस में आधा दर्जन नामों पर तलवार लटकी हुई है।
दोनों ही पार्टियों की ओर से लिए गए सीटवार फीडबैक में कुछ सांसदों का प्रदर्शन उचित नहीं पाया गया, जिससे उनके नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है। भाजपा के चार सांसदों में से तीन नामों पर संशय बना हुआ है और कांग्रेस में आधा दर्जन नामों पर तलवार लटकी हुई है।
नामों की घोषणा का इंतजार
राजस्थान में लोकसभा चुनाव के तहत दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा में प्रत्याशियों का चयन अंतिम दौर पर है। विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा में भी भाजपा के उम्मीदवारों की सूची पहले आने की संभावना है।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम की घोषणा दस मार्च को राहुल गांधी की रैली के बाद हो सकती है। वहीं, भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शनिवार को दिल्ली में होने वाली है, जिसके बाद शनिवार को राजस्थान के करीब एक दर्जन उम्मीदवारों के नाम घोषित होने की सम्भावना है।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम की घोषणा दस मार्च को राहुल गांधी की रैली के बाद हो सकती है। वहीं, भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शनिवार को दिल्ली में होने वाली है, जिसके बाद शनिवार को राजस्थान के करीब एक दर्जन उम्मीदवारों के नाम घोषित होने की सम्भावना है।
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इन नामों के ऊपर खिंच सकती है लकीर
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से विजयी रहे जालौर-सिरोही से देवजी पटेल, बीकानेर से अर्जुन राम मेघवाल और चूरू से रामसिंह कस्वा के नामों पर फिलहाल सहमति नहीं बनी है। इसमें देवजी पटेल को क्षेत्र में एक प्रमुख नेता से कड़ी टक्कर मिल रही है। सांसद अर्जुन राम मेघवाल को देवीसिंह भाटी के विरोध का समाना करना पड़ रहा है।
रामसिंह कस्वा को लेकर भी पार्टी में विरोध है, क्योंकि वे विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी कमला कस्वा को जिता नहीं पाए थे। इधर, कांग्रेस में भी जोधपुर सांसद चंद्रेश कुमारी, सीकर सांसद महादेव सिंह खंडेला, बांसवाड़ा से ताराचंद भगोरा, भरतपुर से रतन सिंह, पाली से बद्री जाखड़ के नाम पर संशय है।
रामसिंह कस्वा को लेकर भी पार्टी में विरोध है, क्योंकि वे विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी कमला कस्वा को जिता नहीं पाए थे। इधर, कांग्रेस में भी जोधपुर सांसद चंद्रेश कुमारी, सीकर सांसद महादेव सिंह खंडेला, बांसवाड़ा से ताराचंद भगोरा, भरतपुर से रतन सिंह, पाली से बद्री जाखड़ के नाम पर संशय है।
नए चेहरों की तलाश
भाजपा फिलहाल जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, अजमेर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर, उदयपुर, कोटा, नागौर, राजसमंद, चित्तौडग़ढ़, बाड़मेर और अलवर में प्रत्याशियों को लेकर भारी असमंजस की स्थिति है।
टोंक-सवाईमाधोपुर में पूर्व चुनाव में प्रत्याशी रहे गुर्जन नेता किरोड़ी सिंह बैंसला अब कांग्रेस में हैं। कांग्रेस को फिलहाल झालावाड़, बीकानेर, चूरू और जालौर-सिरोही में जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश है।
टोंक-सवाईमाधोपुर में पूर्व चुनाव में प्रत्याशी रहे गुर्जन नेता किरोड़ी सिंह बैंसला अब कांग्रेस में हैं। कांग्रेस को फिलहाल झालावाड़, बीकानेर, चूरू और जालौर-सिरोही में जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश है।
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