शनिवार, मार्च 29, 2014

मिलिए इनसे, करोड़ों की कंपनी में सबसे बड़ा पद संभालने वाली पहली महिला

नई दिल्ली. बचपन से नीरू डॉक्टर बनना चाहती थीं। इसलिए नौवीं में साइंस चुना। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से प्री-मेडिकल करने गई। उसी साल यूनिवर्सिटी में हड़ताल होने के कारण डॉक्टरी का सपना टूट गया। साल बर्बाद न हो, इसलिए बीएससी कैमेस्ट्री की। दिल्ली लौटकर वे कुछ ऐसा करना चाहती थीं जिसमें कॅरिअर बन सके। मैथ्स पढ़ा था, सीए करने का मन बनाया। ये सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा।
सीए में तीन साल की आर्टिकलशिप करने के लिए जान-पहचान की फर्म- रघुनाथ राय कंपनी से जुड़ीं। वे फर्म में एक मात्र महिला थीं। उनका हौसला डगमगाया, लेकिन लक्ष्य आगे बढऩा ही था। यहां उन्हें कई बड़े काम करने के मौके मिले जैसे आरबीआई ऑडिट आदि। नवंबर-1980 में सीए पास किया। 1981 में उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में बतौर जूनियर फायनेंस मैनेजर जॉइन किया। यह पहला ब्रेक था।
आगे की स्लाइड में पढ़िए नीरू अब्रोल के संघर्ष की पूरी कहानी...
इंटरव्यू में एक मात्र महिला
नीलू कहती हैं कि स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में कोई जान-पहचान नहीं थी। इंटरव्यू हुआ। क्वालिफिकेशन के आधार पर नौकरी मिली। वे इंटरव्यू में एक मात्र महिला थीं।
पहले ही साल में एग्जीक्यूटिव अवार्ड
नीरू कहती हैं कि आर्टिकलशिप के लिए कई कंपनियों में जाना पड़ता था। इसलिए लड़कियां सीए नहीं बनना चाहती थीं। पहले ही साल उन्हें बेस्ट एग्जीक्यूटिव अवॉर्ड मिला। जब उन्होंने कंपनी जॉइन की उस वक्त डॉ. कृष्णमूर्ति चेयरमैन थे। डॉ. मूर्ति उनकी मेहनत और लगन से काफी प्रभावित थे। 2005 में जीएम फायनेंस बना दिया गया। नीलू रुकना नहीं चाहती थीं। एनएफएल की वेबसाइट से पता लगा कि डायरेक्टर फायनेंस का पद खाली है। अप्लाई किया। पब्लिक एंटरप्राइस सिलेक्शन बोर्ड में बैठीं। फरवरी 2007 में सिलेक्शन हुआ और अक्टूबर में एनएफएल से जुड़ीं। यह दूसरा ब्रेक था।

संघर्ष के बाद 2013 में सीएमडी बनीं
आठ महीनों में उन्होंने पानीपत, बठिंडा, नांगल और विजयपुर प्लांट को फ्यूल ऑइल से नेचुरल गैस पर लाने के लिए 4 हजार 300 करोड़ की फंडिंग की। ये दूसरा टर्निंग पॉइंट रहा। पीएसबी ने जून 2011 में सीएमडी के लिए सिलेक्शन हुआ। लंबे संघर्ष के बाद अगस्त-2013 में सीएमडी बनीं। ये तीसरा ब्रेक बना।
ब्रेक्स एंड टर्निंग पॉइंट्स
जन्मतिथि: 7 फरवरी, 1955
परिवार: शादी नहीं की। (मां) शांति देवी, (बहन)
रेणु तुली, (भाई) अशोक अब्रोल
क्यों चर्चा में - हाल ही में वर्ल्ड एचआरडी कांग्रेस ने उन्हें ग्रेटेस्ट कॉर्पोरेट लीडर्स ऑफ इंडिया अवॉर्ड से सम्मानित किया।

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