न्यूयॉर्क। क्या आपने कभी गौर किया कि एक मच्छर अन्य की तुलना में किसी एक व्यक्ति को क्यों बार-बार काटता है। दरअसल, शरीर से निकलने वाली एक खास गंध मच्छरों को ज्यादा आकर्षित करती है।
रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कार्बन डाई ऑक्साइड, शरीर की ऊष्मा और शरीर की गंध जैसे विभिन्न संवेदी संकेतों की आपसी क्रिया का अध्ययन किया। उन्होंने जीनोम तकनीक की मदद से पीला बुखार (येलो फीवर) फैलाने वाले एडीज एजिप्टी प्रजाति के ऐसे म्यूटेंट मच्छरों का इस्तेमाल किया जिसमें जीआर3 नाम की एक विशेष जीन को हटा दिया गया था। जीआर3 के बिना मच्छर कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस को पहचान नहीं पाते।
शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने एक कमरे में मनुष्य की त्वचा के तापमान वाली एक इलेक्ट्रिक प्लेट की ओर इन मच्छरों के व्यवहार का अध्ययन किया। सामान्य मच्छर इस प्लेट की तरफ तब तक आकर्षित नहीं हुआ जब तक की उसमें से कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं निकलने लगी। जबकि म्युटेंट मच्छर इस प्लेट की तरफ टूट पड़े। शोधकर्ताओं की टीम ने मनुष्य की श्वास और त्वचा की गंध में पाए जाने वाले लेक्टिक अम्ल और कार्बन डाई ऑक्साइड के संबंधों का भी अध्ययन किया।
प्रमुख शोधकर्ता कॉनोर मैकमेनिमैन ने कहा, यह स्पष्ट हो गया है कि बिना कार्बन डाई ऑक्साइड के शरीर की गंध और ऊष्मा का प्रभाव किसी भी कीट पतंगे पर कम हो जाता है। वह मनुष्य से दूर चले जाते हैं।
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