शनिवार, मार्च 29, 2014

20 साल बाद कुख्यात मनोज हुआ गिरफ्तार

नई दिल्ली। पिछले 21 साल से कई राज्यों की पुलिस के लिए पहेली बने गिरोह सरगना मनोज जगमाल की कहानी से अब जाकर पर्दा उठ सका है। मनोज को क्राइम ब्रांच ने एक मुठभेड के बाद द्वारका इलाके से दबोचने में सफलता पाई है। उसके कब्जे से एक पिस्टल व चोरी की स्कार्पियो कार बरामद हुई है। हरियाणा में 35 लाख का सोना लूटने और हत्या की दो वारदात को अंजाम देकर मनोज और जगमाल उत्तर प्रदेश के एमएलए की बेटियों को लेकर फरार हो गए थे। पुलिस को आशंका है कि मनोज ने सुबूत मिटाने के उद्देश्य से जगमाल की हत्या कर दी है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम ब्रांच) रविंद्र यादव के अनुसार सन 90 के दशक में बाहरी दिल्ली तथा हरियाणा के इलाके में मनोज व जगमाल का आतंक था। मनोज बाहरी दिल्ली के बवाना, जबकि जगमाल हरियाणा के सेवली गांव का रहने वाला था। आर्किटेक्ट का डिप्लोमा ले चुके मनोज ने वर्ष 1991 में बवाना के व्यवसायी पुत्र का स्कूल वैन से अपहरण कर पांच लाख की फिरौती वसूली थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगेस्टर सेंसरपाल से उसका संपर्क था। बड़ौत में हत्या की एक वारदात में पकड़े जाने पर उस पर टाडा के तहत भी केस दर्ज हुआ था। जेल में वह जगमाल के संपर्क में आया था। दोनों पैरोल और अंतरिम जमानत पर बाहर आकर फरार हो गए थे। एसीपी केपीएस मल्होत्रा की टीम ने बुधवार को सूचना पर बिजवासन की तरफ से कार सवार मनोज को गिरफ्तार किया। भागने की कोशिश में उसकी कार पेड़ से टकरा गई थी।
पूछताछ में मनोज ने बताया कि जेल से बाहर आकर जगमाल और उसने किंग्जवे कैंप इलाके से पुलिस की वर्दी खरीदी थी। जिसे पहनकर उन्होंने वर्ष 1993 में हरियाणा के महम इलाके में एक सर्राफ के यहां से 35 लाख का सोना लूटा था। इसके बाद जगमाल के गांव में जाकर संपत्ति विवाद में दो लोगों की हत्याएं कर दी थी। कुछ दिन नेपाल में गुजारने के बाद वह लखनऊ में एक एमएलए के घर भी रुके। जहां आए एक व्यक्ति को अगवाकर उन्होंने दस लाख रुपये वसूल किए थे।
वर्ष 1994 में मेरठ जाकर उन्होंने तत्कालीन एमएलए भगवान सिंह की बेटियों आशा और मंजू का अपहरण किया और बेंगलूर चले गए थे। जहां जगमाल ने मंजू जबकि मनोज ने आशा से शादी रचा ली थी। मनोज की 15 से ज्यादा मुकदमों में कई राज्यों की पुलिस को तलाश थी। दिल्ली पुलिस ने भी उसके ऊपर 75 हजार का इनाम घोषित किया था। जिसे बाद में रद किया गया।
लूट के रुपयों से रेस्टोरेंट का धंधा
मनोज ने बताया कि लूट के सोने से मिले रुपयों से उन्होंने बेंगलूर में नंदी हिल्स इलाके के समीप शिवा ढाबा नाम से एक रेस्टोरेंट खोला था। लेकिन छह माह बाद ही जगमाल और उसकी पत्‍‌नी मंजू अचानक कहीं गायब हो गए। जिसके बाद रेस्टोरेंट को साढ़े सात लाख रुपये में बेचकर वह गुजरात के अहमदाबाद चला गया। जहां पर उसने लूट के रुपयों से मकान और दो दुकान खरीदी।
बनना चाहता था बदमाशों का गॉड फादर
बाहरी दिल्ली तथा हरियाणा के बदमाशों का गॉड फादर बनने के चक्कर में मनोज दिल्ली आया था। पिछले एक माह से वह नीरज बवाना गिरोह के सदस्यों के संपर्क था। हाल ही में बाहरी दिल्ली में हुए दोहरे हत्याकांड में नीरज बवाना गिरोह की तलाश के दौरान क्राइम ब्रांच टीम को मनोज का सुराग हाथ लगा और वह पकड़ा गया।
अहमदाबाद जाएगी क्राइम ब्रांच की टीम
जगमाल को लेकर दिए गए मनोज के बयान से अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। मनोज का कहना है कि बीस लाख रुपये लेकर जगमाल अपनी पत्‍‌नी मंजू के साथ भाग गया। एक अधिकारी के अनुसार मनोज बेहद शातिर है। माना जा रहा है कि पकड़े जाने के डर से उसने जगमाल और मंजू को रास्ते से हटा दिया है। असलियत जानने के लिए क्त्राइम ब्रांच की एक टीम मनोज की पत्‍‌नी आशा से पूछताछ करने अहमदाबाद जाएगी।

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