सोमवार, फ़रवरी 24, 2014

उत्तर प्रदेश की सरकार ने माना सूबे में बढ़े अपराध

लखनऊ। अभी तक तो विपक्षी दल ही प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर हो-हल्ला मचाते थे लेकिन अब सरकार ने खुद मान लिया है कि गुजरे एक साल में प्रदेश में विभिन्न प्रकार की आपराधिक घटनाओं में इजाफा हुआ है। शुक्रवार को विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान नगर विकास राज्य मंत्री चितरंजन स्वरूप ने एक सवाल के जवाब में बताया कि 1 जनवरी 2013 से 14 जनवरी 2014 तक प्रदेश में विगत वर्ष की तुलना में डकैती के मामलों में 131.39, बलात्कार में 49.54, लूट में 16.66, हत्या में 0.69 और आगजनी में 19.03 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
कांग्रेस के नसीब पठान के सवाल के जवाब में चितरंजन स्वरूप ने यह भी बताया कि पहली जनवरी 2013 से 15 जनवरी 2014 तक प्रदेश में हत्या की 4937, आगजनी की 344, डकैती की 516, बलात्कार की 2801 और लूट की 3368 आपराधिक वारदातें हुईं।
इसी सवाल पर अनुपूरक प्रश्न करते हुए नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पूर्ववर्ती बसपा सरकार के आखिरी दो और सपा सरकार के दो वर्षो में हुए अपराधों का ब्योरा तलब किया। जब इस पर नेता सदन अहमद हसन ने मायावती राज के मुकाबले सपा सरकार के कार्यकाल में अपराध कम होने की बात कही,तो नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के मंत्री सदन में तैयारी करके नहीं आते।
इस टिप्पणी पर सदन में मौजूद विकलांग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी ने एतराज किया। जवाब में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार पर आरोप लगाना और उसे कठघरे में खड़ा करना हमारा काम है। इस पर सत्ता पक्ष और बसपा सदस्यों के बीच गरमागरमी हुई। बसपा सदस्य सभापति गणोश शंकर पांडेय के आसन के सामने आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इस पर सभापति ने प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया।
नसीब पठान के ही एक और सवाल के जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि मुजफ्फरनगर और उसके आसपास के जिलों में हुए सांप्रदायिक दंगे में 65 लोगों की मौत हुई जिनमें दो अज्ञात हैं। इसके अलावा दंगे में 34 लोग गंभीर रूप से और 51 सामान्य रूप से घायल हुए। प्रत्येक मृतक आश्रित को दस लाख रुपये और परिवार के एक सदस्य को शैक्षिक योग्यता के आधार पर नौकरी दी गई है।
निर्दल समूह के चेत नारायण सिंह के प्रश्न के उत्तर में सरकार ने कहा कि प्रदेश में नियुक्तियों पर रोक हटाई नहीं गई है। जनोपयोगी विभागों के ऐसे महत्वपूर्ण पदों, सेवाओं जिन पर जनहित में तत्काल भर्ती किया जाना जरूरी है।

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