रामगढ़. कांकेबार के पास एनएच-33 पर बने मंदिर और मस्जिद को हिंदू व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रविवार को स्वयं हटा लिया। इस दौरान वहां भाईचारे का माहौल रहा। दोनों समुदायों का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारा बनाए रखने के लिए उन्होंने ऐसा किया।
मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा को दामोदर नदी में विसर्जित किया गया, जबकि पवित्र कुरआन को कांकेबार निवासी शहजाद खान के घर में रखा गया है। प्रशासन ने दोनों धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए ग्रामीणों को 24 फरवरी तक का समय दिया था।
पहले गुंबद खोला, फिर मस्जिद हटाई : रविवार सुबह 11 बजे अंजुमन कमेटी के सदस्य शहजाद खान, मुख्तार अहमद, मो. मुमताज, ज्ञास खान नूरी मस्जिद पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले मस्जिद का गुंबद खुलवाया। इसके बाद मस्जिद को हटा दिया गया। मस्जिद के मलबे को अंजुमन कमेटी को सौंप दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में एक घंटा लगा। इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल और प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे।
मूर्ति हटाई, फिर मंदिर : इसके बाद दोपहर करीब 12 बजे मां काली के मंदिर को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई। पहले पूजा अर्चना की गई। लगभग सवा 12 बजे मंदिर से मां काली की प्रतिमा को उठाया गया। मंदिर के चारों कोने पर लगे झंडे खोले गए। लगभग तीन घंटे में मंदिर सड़क से हटा दिया गया। इस दौरान मुर्रामकला की मुखिया अर्चना महतो, दमोदर महतो, रणंजय कुमार, चिंतामणी पटेल, द्वारिका प्रसाद और अन्य लोग मौके पर मौजूद थे। शाम लगभग साढ़े चार बजे दामोदर नदी में प्रतिमा का विसर्जन कर दिया गया।
प्रशासन ने दिया था तूल : यशवंत
मौके पर मौजूद सांसद यशवंत सिन्हा ने दोनों पक्षों को धन्यवाद दिया। साथ ही प्रशासन पर इस मुद्दे को तूल देने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि यदि पहले ही पहल हो जाती तो यह मुद्दा इतना लंबा नहीं खिंचता। दोनों समुदायों के लोगों ने आपसी सौहार्द बनाकर धार्मिक स्थलों को हटाया। इससे एक अच्छा संदेश गया है।
कोट्स
हमारा उद्देश्य सौहार्द बिगाडऩे का नहीं था। हिंदू समाज की छवि धूमिल ना हो, इसलिए मस्जिद हटते ही मंदिर हटा लिया गया। मनोज महतो, मंदिर कमेटी के सदस्य
20 फरवरी को थाने में हुई बैठक में मस्जिद हटाने का फैसला हो चुका था। रामगढ़ में आपसी सौहार्द ना बिगड़े, इसके लिए कमेटी ने बिना जमीन मिले ही मस्जिद हटा ली है। लेकिन जिला प्रशासन अपना वादा याद रखे। प्रशासन कमेटी को जमीन का प्रस्ताव जरूर दे जहां मस्जिद बन सके। नसीम अहमद कुरैशी, अंजुमन कमेटी के सदस्य
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