नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप केस के दोषी मुकेश सिंह के वकील वीके आनंद पर
हमला हो गया है। अभी यह पता नहीं चल पाया कि यह हमला सुनियोजित था या
अचानक किया गया। वीके आनंद पहले इसी मामले के आरोपी राम सिंह के वकील थे,
जिसने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।
दिल्ली गैंगरेप केस के चारों दोषियों की सजा का ऐलान अब शुक्रवार को दोपहर ढाई बजे होगा। दोषियों को क्या सजा दी जाए, इस पर करीब ढाई घंटे तक चली बहस के बाद अदालत ने यह फैसला लिया। बहस के बाद बचाव पक्ष के वकील ने मीडिया के सामने बताया कि उन्होंने सारी बातें अदालत में सामने रखीं। दोषी विनय के बारे में उन्होंने बताया कि उसकी उम्र काफी कम है और कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं है। दोषियों में सुधार की गुंजाइश है, इसलिए उन्हें कम से कम सजा दी जाए।
इससे पहले बचाव पक्ष के वकील ने दोषियों को फांसी की सजा से बचाने के लिए दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब बटला हाउस एनकाउंटर के दोषी को उम्रकैद की सजा दी गई तो बलात्कारियों के लिए मौत की सजा पर विचार क्यों किया जा रहा है?
दोषी पवन गुप्ता को फांसी से बचाने के लिए उनके वकील ने उनकी कम उम्र और सामाजिक पृष्ठभूमि की अलग से दलील पेश की है। उनके वकील ने अदालत से कहा कि पवन सिर्फ 19 साल का अनपढ़ युवक है इसलिए उसे सुधरने का मौका देते हुए फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए।
चारों दोषियों को फांसी की सजा से बचाने के लिए उनके वकील ने हरसंभव दलील पेश की। उनके वकील ने कहा, 'कोर्ट तो संदिग्ध आतंकवादियों को छोड़ देता है, फिर ये कोई आतंकवादी नहीं है। बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि यह सुनियोजित वारदात नहीं थी, बल्कि आवेग में किया गया अपराध था। बचाव पक्ष की दलील है कि फांसी मूल अधिकारों का हनन है।
इससे पहले चारों दोषियों के चेहरे की रंगत सजा सुनने से पहले ही उड़ गई। विनय की आंख में आंसू बहने लगे और मुकेश कटघरे में गुमसुम खड़ा रहा। पवन को यह समझ नहीं आ रहा था कि उसका वकील क्या बोल रहा है। वह आसपास खड़े लोगों के चेहरे ताक रहा था। अक्षय के चेहरे की भी हवाइयां उड़ी हुई थीं।
इन चारों ने कोर्ट से फांसी की सजा न देने की गुहार लगाई। शायद चारों को यह महसूस होने लगा है कि अब वे फांसी की सजा से नहीं बच पाएंगे। दोषियों के वकील ने अदालत से कहा है कि उम्रकैद तो कानून है, लेकिन सजा-ए-मौत अपवाद है। बचाव पक्ष के वकील ने भी इस मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' न मानने के लिए जज से अपील की है, जबकि सरकारी वकील चारों के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहे थे।
आम जनता ही नहीं, बल्कि कुछ जानी-मानी हस्तियां भी इन बलात्कारियों के लिए फांसी की मांग कर रही हैं। खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी उम्मीद जताई थी कि इन चारों को फांसी की सजा ही मिलेगी।
अदालत ने आरोपी मुकेश कुमार, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को 11 धाराओं के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, लूटपाट, गैंगरेप, कुकर्म, सबूत नष्ट करने और अपराध में सामूहिक भागीदारी का दोषी पाया था।
16 दिसंबर, 2012 को वसंत विहार इलाके में फिजियोथेरेपिस्ट छात्रा से चलती बस में गैंगरेप किया गया था। पीड़िता की 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में बस चालक राम सिंह व उसके भाई मुकेश के साथ विनय, पवन, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया था। राम सिंह की तिहाड़ जेल में मौत हो चुकी है, जबकि बाल न्यायालय नाबालिग को गत 31 अगस्त को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह में भेज चुका है।
दिल्ली गैंगरेप केस के चारों दोषियों की सजा का ऐलान अब शुक्रवार को दोपहर ढाई बजे होगा। दोषियों को क्या सजा दी जाए, इस पर करीब ढाई घंटे तक चली बहस के बाद अदालत ने यह फैसला लिया। बहस के बाद बचाव पक्ष के वकील ने मीडिया के सामने बताया कि उन्होंने सारी बातें अदालत में सामने रखीं। दोषी विनय के बारे में उन्होंने बताया कि उसकी उम्र काफी कम है और कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं है। दोषियों में सुधार की गुंजाइश है, इसलिए उन्हें कम से कम सजा दी जाए।
इससे पहले बचाव पक्ष के वकील ने दोषियों को फांसी की सजा से बचाने के लिए दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब बटला हाउस एनकाउंटर के दोषी को उम्रकैद की सजा दी गई तो बलात्कारियों के लिए मौत की सजा पर विचार क्यों किया जा रहा है?
दोषी पवन गुप्ता को फांसी से बचाने के लिए उनके वकील ने उनकी कम उम्र और सामाजिक पृष्ठभूमि की अलग से दलील पेश की है। उनके वकील ने अदालत से कहा कि पवन सिर्फ 19 साल का अनपढ़ युवक है इसलिए उसे सुधरने का मौका देते हुए फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए।
चारों दोषियों को फांसी की सजा से बचाने के लिए उनके वकील ने हरसंभव दलील पेश की। उनके वकील ने कहा, 'कोर्ट तो संदिग्ध आतंकवादियों को छोड़ देता है, फिर ये कोई आतंकवादी नहीं है। बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि यह सुनियोजित वारदात नहीं थी, बल्कि आवेग में किया गया अपराध था। बचाव पक्ष की दलील है कि फांसी मूल अधिकारों का हनन है।
इससे पहले चारों दोषियों के चेहरे की रंगत सजा सुनने से पहले ही उड़ गई। विनय की आंख में आंसू बहने लगे और मुकेश कटघरे में गुमसुम खड़ा रहा। पवन को यह समझ नहीं आ रहा था कि उसका वकील क्या बोल रहा है। वह आसपास खड़े लोगों के चेहरे ताक रहा था। अक्षय के चेहरे की भी हवाइयां उड़ी हुई थीं।
इन चारों ने कोर्ट से फांसी की सजा न देने की गुहार लगाई। शायद चारों को यह महसूस होने लगा है कि अब वे फांसी की सजा से नहीं बच पाएंगे। दोषियों के वकील ने अदालत से कहा है कि उम्रकैद तो कानून है, लेकिन सजा-ए-मौत अपवाद है। बचाव पक्ष के वकील ने भी इस मामले को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' न मानने के लिए जज से अपील की है, जबकि सरकारी वकील चारों के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहे थे।
आम जनता ही नहीं, बल्कि कुछ जानी-मानी हस्तियां भी इन बलात्कारियों के लिए फांसी की मांग कर रही हैं। खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी उम्मीद जताई थी कि इन चारों को फांसी की सजा ही मिलेगी।
अदालत ने आरोपी मुकेश कुमार, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को 11 धाराओं के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, लूटपाट, गैंगरेप, कुकर्म, सबूत नष्ट करने और अपराध में सामूहिक भागीदारी का दोषी पाया था।
16 दिसंबर, 2012 को वसंत विहार इलाके में फिजियोथेरेपिस्ट छात्रा से चलती बस में गैंगरेप किया गया था। पीड़िता की 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में बस चालक राम सिंह व उसके भाई मुकेश के साथ विनय, पवन, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग को गिरफ्तार किया था। राम सिंह की तिहाड़ जेल में मौत हो चुकी है, जबकि बाल न्यायालय नाबालिग को गत 31 अगस्त को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह में भेज चुका है।
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