शुक्रवार, फ़रवरी 08, 2013

गजल सम्राट जगजीत सिंह

गजल सम्राट जगजीत सिंह किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। उनकी आवाज के दीवानों के दिलों में वो आज भी धड़कते हैं। आज उन्हीं गजल के सरताज का जन्मदिन है। जिसे लोग अपनी-अपनी तरह से मना रहे हैं लेकिन दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने जगजीत सिंह को अलग तरह से सम्मान देकर याद किया है। गूगल ने अपने सर्च पेज पर जगजीत सिंह की तस्वीर को जगह दी है। जो कि एक बड़ा आदर है। शायद इतना बड़ा सम्मान गूगल की ओर से अभी तक किसी भी भारतीय कलाकार को नहीं मिला था। आपको बता दें कि मौसिकी के बादशाह और गजल के पुरोधा जगजीत सिंह का आज जन्म दिन है। आज भले ही वो हमारे बीच सशरीर मौजूद नहीं है लेकिन अपनी गायिकी और मखमली आवाज के चलते लगता ही नहीं कि वो हमसे इतनी दूर चले गये हैं। जगजीत सिंह संगीत के ऐसे फनकार थे जिनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। दिल, मुहब्बत, जज्बात, जुदाई को सुरों में कहना कोई जगजीत सिंह से सीखे। उनके संगीत से जुड़ा हर सदस्य आज भीगी पलकों से उन्हें याद कर रहा है और उन्ही में आवाज में कह रहा है कि ... कहां तुम चले गये ? संगीत के पुरोधा ने अपने शब्दों से अपने हर गीत को अमर कर दिया...जिसको सुनने के बाद हर गीत में लगता था जैसे उनके अरमान निकलते हों। जगजीत सिंह   होंठों पर मुस्कुराट और आंखों में नमी की बात करने वाले जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था। उनके पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे। जगजीत सिंह के बचपन का नाम जीत था। करोड़ों सुनने वालों के चलते सिंह साहब कुछ ही दशकों में जग को जीतने वाले जगजीत बन गए। शुरूआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई और बाद पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। उन्हें पहला ब्रेक गुजरात फिल्म के लिए मिला। लेकिन उसके बाद संगीत के जूनन ने उन्हें मायानगरी मुंबई पहुंचा दिया, जहां उन्होंने अपने सुरों से वो इबादत लिखी जिसे मिटा पाना नामुमकीन है। अपनी आवाज से लोगों के बीच पहचान बनाने वाले जगजीत सिंह 1969 में मशहूर गायिका चित्रा से प्रेम विवाह रचाया। अर्थ, प्रेमगीत, लीला, सरफरोश, तुम बिन, वीर जारा ये वो फिल्में हैं जिन्होंने उनको हिंदी सिनेमा जगत पर शिखर पर पहुंचाया। लेकिन अपने स्टेज शो के जरिये उन्होंने उर्दू से भरी गजलों को आम आदमी की आवाज बना दिया। फिल्मी सितारों को ही नहीं, बल्कि अटल बिहारी जैसे कवि की रचना गाकर जगजीत सिंह ने ये जता दिया कि वो केवल गीतकारों के गीत ही नहीं गा सकते हैं। पंजाबी, बंगाली, गुजराती, हिंदी और नेपाली भाषाओं में गाना गाने वाले जगजीत सिंह को पद्मश्री और पद्मविभूषण से नवाजा जा चुका है। अपने जवान बेटे को एक सड़क दुर्घटना में खो देने का गम उनकी गजल और रचनाओं में अक्सर सुना जाता था। लेकिन खूबसूरत आवाज के मालिक जगजीत सिंह ने 10 अक्टूबर को जिंदगी का दामन छोड़ दिया उनके जाने के बाद संगीत के पूजारियों ने कहा था कि जगजीत सिंह की जगह कोई नहीं ले सकता है। लेकिन लोगों की धड़कनों में उनके आवाज की कशिश हमेशा जिंदा रहेगी। वो हमेशा अपने सुरों से हमारे बीच में रहेगें क्योंकि उनके गीतों ने उन्हें अमर कर दिया है। इसी अमर शख्सियत को वनइंडिया परिवार शत शत नमन करता है

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