लंदन। पाकिस्तानी वैज्ञानिक परवेज हुडभोई ने देश के परमाणु हथियारों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि पाकिस्तानी सेना में बढ़ती कट्टरता से परमाणु हथियार कट्टरपंथी इस्लामी लोगों के हाथों में जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सेना के अंदरूनी ठिकानों पर हुए हमले बताते हैं कि
सेना के अंदर कट्टरता बढ़ रही है। इससे परमाणु हथियारों के कट्टरपंथियों के
हाथों में जाने का खतरा है। उन्होंने यह बात यहां पर अपनी किताब
'कंफ्रंटिंग द बम . पाकिस्तानी एंड इंडियन साइंटिस्ट स्पीक आउट' के विमोचन
के मौके पर कही। उन्हें पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठानों के खिलाफ बोलने
के लिए जाना जाता है। परमाणु भौतिकविद् और रक्षा विशेषज्ञ परवेज के मुताबिक
पाकिस्तान के पास भारत की तरह ही करीब 120-130 परमाणु हथियार हैं। वह
इंदाली लाउंज में भारतीय पत्रकार संघ के सदस्यों के सवालों के जवाब दे रहे
थे।
उन्होंने कहा कि पूर्व में ऐसे हथियार प्रतिरोधक के साधन के रूप में देखे जाते थे। सबसे खतरनाक बात यह है कि अब नए परमाणविक पदार्थो की खोज की जा रही है जिससे परमाणु हथियार बनाए जा सके। यानी परमाणु हथियारों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी।
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से परमाणु भौतिक में पीएचडी की उपाधि लेने वाले परवेज ने जोर देकर कहा कि उप महाद्वीपीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान पांच बार 1987, 1990, कारगिल युद्ध (1999), 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2008 में मुंबई हमले के बाद परमाणु युद्ध के करीब थे। परमाणु हथियारों के कारण पैदा होने वाले तनाव का जिक्र करते हुए परवेज ने कहा कि विस्फोट के बाद रेडियो धर्मिता का भयावह असर न सिर्फ उप महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर होगा।
कंफ्रंटिंग द बुक का प्रकाशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने किया है। इसमें भारत-पाकिस्तान के वैज्ञानिकों के निबंधों का संग्रह है। परमाणु युग में भारत में इसकी शुरुआत 1974 में हुई। उसके बाद पाकिस्तान में। वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद एक तरह से परमाणु शस्त्रों की होड़ शुरू हो गई।
उन्होंने कहा कि पूर्व में ऐसे हथियार प्रतिरोधक के साधन के रूप में देखे जाते थे। सबसे खतरनाक बात यह है कि अब नए परमाणविक पदार्थो की खोज की जा रही है जिससे परमाणु हथियार बनाए जा सके। यानी परमाणु हथियारों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी।
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से परमाणु भौतिक में पीएचडी की उपाधि लेने वाले परवेज ने जोर देकर कहा कि उप महाद्वीपीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान पांच बार 1987, 1990, कारगिल युद्ध (1999), 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2008 में मुंबई हमले के बाद परमाणु युद्ध के करीब थे। परमाणु हथियारों के कारण पैदा होने वाले तनाव का जिक्र करते हुए परवेज ने कहा कि विस्फोट के बाद रेडियो धर्मिता का भयावह असर न सिर्फ उप महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर होगा।
कंफ्रंटिंग द बुक का प्रकाशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने किया है। इसमें भारत-पाकिस्तान के वैज्ञानिकों के निबंधों का संग्रह है। परमाणु युग में भारत में इसकी शुरुआत 1974 में हुई। उसके बाद पाकिस्तान में। वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद एक तरह से परमाणु शस्त्रों की होड़ शुरू हो गई।
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