सोमवार, जनवरी 21, 2013

पहाड़ों पर बर्फबारी से जनजीवन बेहाल



पहाड़ों पर बर्फबारी से जनजीवन बेहाल
नई दिल्ली। मौसम के रुखे मिजाज ने उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों खासकर हिमाचल प्रदेश में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में अपेक्षाकृत राहत महसूस की गई। हिमाचल प्रदेश में बीते 48 घंटे के दौरान हुई बर्फबारी के कारण जहां पहाड़ों पर बर्फ की चादर बिछ गई है, वही मैदानों में भारी बारिश से धरती तर हो गई है। पहाड़ों की रानी शिमला में हिमपात ने आठ सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। भारी हिमपात के कारण शिमला सहित ऊपरी इलाकों में सभी सड़कें बंद रहने से यातायात ठप रहा। मौसम विभाग का कहना है कि प्रदेशभर में 20 जनवरी से मौसम साफ हो जाएगा, लेकिन बर्फबारी के कारण ठंडी हवाओं का दौर जारी रहेगा।
बिजली गुल, दूरसंचार सेवा बाधित
शिमला के कई इलाकों में शुक्रवार रात से बिजली गुल हो गई। पानी की पाइपें जाम होने के कारण पानी की आपूर्ति नहीं हो पाई। दूरसंचार सेवा में भी बाधा पहुंची। अस्पतालों को जाने वाले रास्ते सुबह के समय बंद रहे, जिससे एंबुलेंस मरीजों को अस्पताल नहीं पहुंचा पाई। जनजातीय क्षेत्र किन्नौर में रोलंग खड्ड के पास ग्लेशियर टूटने से राष्ट्रीय राजमार्ग बंद है। वहीं, कशंग प्रोजेक्ट के पास ग्लेशियर टूटने से एक मजदूर बर्फ में दब गया, जबकि पंगी में भारी बर्फबारी के कारण पेड़ गिरने से दो लोगों की मौत हो गई।
रामपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-22 झाकड़ी के पास गत 48 घंटों से बाधित है। वहां हिमाचल पथ परिवहन निगम की 26 बसें फंसी हुई हैं। सोलन के पर्यटन स्थल चायल के लिए यातायात दूसरे दिन भी बाधित है। रमनाली-कुल्लू मार्ग पर क्लाथ इलाके और आलू ग्राउंड में ग्लेशियर गिरे। इस कारण करीब पांच घंटे यातायात बाधित रहा। मनाली-कुल्लू मार्ग बड़े वाहनों के लिए बंद रहा। शुक्रवार को मनाली में बर्फबारी के कारण फंसे कई पर्यटक छोटे वाहनों में कुल्लू पहुंचकर घर रवाना हुए। बर्फबारी के कारण सुंदरनगर उपमंडल में पंडार व चौकी के बीच सैकड़ों छोटे-बड़े वाहन फंसे हैं।
उत्तराखंड में भी संकट बरकरार
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हुई भारी बर्फबारी से जनजीवन अभी भी पटरी पर नहीं लौट पाया है। उत्तरकाशी के लगभग दो सौ गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है, जबकि रुद्रप्रयाग के 20 गांवों का हाल भी ऐसा ही है। गंगोत्री, यमुनोत्री राजमार्गाें के साथ ही कई संपर्क मार्ग भी बाधित हैं। वहीं, कुमाऊं मंडल में बर्फबारी के चलते बंद थल-मुनस्यारी मार्ग दूसरे दिन भी नहीं खुल पाया। लगभग सभी इलाकों में चटख धूप रही, लेकिन पहाड़ और मैदान दोनों ही जगह बर्फीली हवा ने ठिठुरन बनाए रखी। इस सबके चलते न्यूनतम पारे में थोड़ी गिरावट आई। -2.6 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ मुक्तेश्वर व टिहरी सबसे ठंडे रहे।
देश-दुनिया से जुड़ी वादी
जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी के कारण अस्त-व्यस्त हुआ जनजीवन पटरी पर लौट आया। मौसम में सुधार के साथ ही देश-दुनिया से कटा कश्मीर व पुंछ का जमीनी तथा हवाई संपर्क भी बहाल हो गया। जम्मू में भी दिनभर धूप खिली रहने से लोगों को ठंड से राहत मिली, लेकिन वादी में हिमस्खलन का खतरा बरकरार है। श्रीनगर समेत वादी के अधिकांश इलाकों में दोपहर तक बर्फबारी का सिलसिला जारी था।
अलबत्ता, दोपहर बाद हिमपात थमा और सूरज देव भी बादलों की ओट से बाहर आ गए। इससे श्रीनगर हवाई अड्डे से उड़ानों की आवाजाही शुरू हो गई। उधर, दो दिन से बंद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे 250 छोटे-बड़े वाहनों को अपने गंतव्य की तरफ रवाना किया गया। अधिकांश इलाकों में ठप पड़ी बिजली, पानी व दूरसंचार सेवाएं भी बहाल हो गई हैं और जिला मुख्यालय से कटे अधिकांश इलाकों का संपर्क दोबारा जुड़ गया।
जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग रविवार को मौसम ठीक रहने की सूरत में एक तरफा यातायात के लिए खुला रहेगा। मौसम विभाग के मुताबिक, पश्मिची विक्षोभ का प्रभाव अब कमजोर पड़ चुका है और तकरीबन एक सप्ताह तक इसके सक्रिय होने की संभावना नहीं है।

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