सोमवार, मार्च 22, 2010

आईपीएल हुआ 1 लाख करोड़ का

अब एक लाख करोड़ रुपए का हो चुका है। अब ये दुनिया के सबसे ज्यादा पैसे वाले खेल फुटबॉल के मुकाबले में आ खड़ा हुआ है।रविवार को जो हुआ, उसने लोगों को चैंका कर रख दिया है। दो टीमों की जो कीमत लगी, उससे खेल और बिजनेस के जानकार हैरान हैं। टीमों के साथ खिलाड़ियों के भी पौ बारह हो गए हैं। मिसाल के तौर पर धोनी और पोलॉर्ड जब फिर से कीमत लगाई जाएंगी तो वो 100 करोड़ के पार जा सकती है।2008 में शुरू हुआ आईपीएल तीन साल में ही बन चुका है 1 लाख करोड़ रुपए का ब्रांड। साफ है आईपीएल पर मंदी का कोई असर नहीं है। 2008 में इंग्लिश प्रीमियर लीग के क्लब मैनचेस्टर सिटी को अबूधाबी के एक इंडस्ट्रियल ग्रुप ने 200 मिलियन डॉलर यानी 1380 करोड़ रुपए में खरीदा था। जबकि इस साल आईपीएल में पुणे को 1702 करोड़ रुपए में और कोच्चि को 1533 करोड़ रुपए में खरीदा गया। यानी फुटबॉल पर भारी क्रिकेट। पुणे को सहारा एडवेंचर स्पोर्ट्स ने खरीदा, तो कोच्चि को खरीदा रोंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड ने।जी हां, क्रिकेट अब सारी सीमाएं पार कर रहा है। साल 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई थी तब 8 टीमें कुल मिलाकर 2800 करोड़ रुपए में बिकी थीं। लेकिन आईपीएल 4 के लिए महज 2 टीमों की कीमत ही 3200 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।आईपीएल की टीमों की ही कीमत नहीं बढ़ रही है। आईपीएल की ही ब्रैंड वैल्यू नहीं बढ़ रही है। बल्कि खिलाड़ियों की ब्रैंड वैल्यू में भी कई गुना इजाफा होने की संभावना है। आईपीएल1 के सबसे महंगे खिलाड़ी रहे धोनी। चेन्नई सुपर किंग्स ने उन्हे 6.5 करोड़ रुपए में खरीदा। इस बार वेस्टइंडीज के धाकड़ बल्लेबाज पोलार्ड को मुंबई इंडियंस ने 7.5 करोड़ रुपए में खरीदा। लेकिन आने वाले समय में खिलाड़ियों की कीमतें भी आसमान छूने लगेंगी।एक अनुमान के मुताबिक ब्रैंड धोनी की वैल्यू 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। बाकी स्टॉर खिलाड़ी जैसे सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह वगैरह भी 50 से 100 करोड़ तक के ब्रैंड बन सकते हैं। यानी अमिताभ, शाहरुख और आमिर सरीखे बॉलीवुड स्टार्स से कहीं ज्यादा महंगे हो जाएंगे क्रिकेट खिलाड़ी।सरकार के लिए भी आईपीएल खासा फायदे का सौदा साबित हो सकता है। सरकार को बीसीसीआई की कमाई का 30 फीसदी टैक्स के रूप में मिलेगा। यानी आईपीएल से सरकार की भी चांदी हो गई है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर आईपीएल में इतना पैसा क्यों आ रहा है। दरअसल 100 करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाले इस देश में क्रिकेट खेल नहीं, धर्म बन चुका है। यहां पर क्रिकेट खिलाड़ी भगवान की तरह पूजे जाते हैं। विदेशों में भी बड़ी संख्या में हिंदुस्तानी बसे हैं। उनके बीच भी क्रिकेट बेहद पॉपुलर है। बीसीसीआई अब तक क्रिकेट की इस अपार लोकप्रियता को पूरे तरह से भुना नहीं पा रहा था। लेकिन आईपीएल के जरिए उसने सटीक निशाना लगाया है।एक अनुमान के मुताबिक आईपीएल सीजन 2 को भारत से ही बाहर ही करीब 45 करोड़ लोगों ने टीवी पर देखा। मीडिया खरीददारों के मुताबिक पहले सीजन में आईपीएल से जुड़े ब्रांडों की संख्या 40 थी, जो दूसरे सीजन में बढ़कर 68 हो गई। तीसरे सीजन में ये संख्या 80 तक पहुंच चुकी है। साफ है आईपीएल तीसरे साल में ही बहुत बड़ा हो चुका है। आने वाले वक्त में ये कहां तक पहुंचेगा। इसका अनुमान लगाना तक मुश्किल है।इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की दो नई टीमों के लिए रविवार को लगाई जाने वाली बोली को लेकर बड़े जोर-शोर के साथ चर्चा की जा रही थी लेकिन आखिर में सारी प्रक्रिया ठंडी पड़ गई। कइयों ने तो इसके लिए आईपीएल आयुक्त ललित मोदी पर यह कहते हुए निशाना साध दिया कि उनकी कुछ ज्यादा ही अपेक्षा थी। हो सकता है कि यह आलोचना आनन-फानन में की गई। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने केवल कुछ ही नियमों में बदलाव किए हैं।बोली की न्यूनतम रकम 2250 लाख डॉलर बरकार रखी गई है जो आईपीएल की सबसे महंगी टीम मुंबई इंडियंस की कीमत से दोगुनी अधिक है। तीन साल पहले मुकेश अंबानी ने 1119 लाख डॉलर में श्मुंबई इंडियंसश् खरीदी थी। बोली की प्रक्रिया रद्द होने की घोषणा करते हुए मोदी का कहना था आधार मूल्य कोई मुद्दा नहीं है।मोदी के आलोचकों का कहना है कि वह अपना भाग्य आजमाने के चक्कर में आईपीएल के ब्रांड को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन आईपीएल टूर्नामेंट की बुनियाद रखे जाने में अहम भूमिक निभाने वाले मोदी कहते हैं कि आईपीएल विश्व का सबसे बडा ब्रांड बनने जा रहा है। वैसे किसी भी सूरत में हम भारत के सबसे बड़े वैश्विक ब्रांड बन चुके हैं। हालांकि, मोदी का इस तरह आत्मविश्वास से लबरेज होना बेबुनियाद नहीं है। उद्योग जगत में नए प्रयोगों पर नजर रखने और इसका संकलन करने वाली पत्रिका श्फास्ट कंपनीश् की सूची में आईपीएल 22 वें स्थान पर था और इस मामले में इसने बड़े कॉर्पोरेट दिग्गजों सैमसंग और माइक्रोसॉफ्ट तक को पीछे छोड़ दिया। इस सूची में पहले स्थान पर फेसबुक रही थी।पत्रिका में आईपीएल की क्रिकेट की नई अर्थव्यवस्था को जन्म देने के लिए सराहना की गई है। विज्ञापन और विपणन बाजार में आम धारणा यह है कि मात्र तीन सालों में आईपीएल 2 अरब डॉलर का ब्रांड बन चुका है। इसके राजस्व का स्रोत टीवी प्रसारण अधिकार, प्रमोशन और फ्रैंचाइजी हैं।मेडिसन मीडिया के अध्यक्ष सैम बलसारा के अनुसार आईपीएल नए प्रयोग और तरकीबों को बाजार में बेचने में कभी पीछे नहीं रहता है और यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है। आईपीएल, जिसके राजस्व का स्रोत मुख्य तौर पर स्टेडियम कलेक्शन और टीवी प्रसारण अधिकार हैं, ने अपना दायरा काफी अधिक बढ़ा लिया है।बलसारा कहते हैं आईपीएल ने अपने आप को टेलीविजन से आगे मल्टीप्लेक्सों और गूगल तक पहुंचा दिया है। इससे इसे अपने में हमेशा नयापन लाने में मदद मिलती है। मीडिया खरीदारों के अनुसार पहले सत्र में आईपीएल के साथ जुड़े ब्रांडों की संख्या 40 थी जो दूसरे सत्र में बढ़कर 68 हो गई थी। तीसरे सत्र में इस संख्या के 80 तक पहुंच जाने की संभावना है।पहले सत्र में लीग के राजस्व का मुख्य स्रोत टीवी प्रसारण अधिकार और स्पॉन्सरशिप सौदे थे। लेकिन इस साल लीग ने कई कंपनियों के साथ खास किस्म के लाइसेंसिंग समझौते किए हैं। इससे न सिर्फ आईपीएल को वन-टाइम लाइसेंसिंग फीस मिली है बल्कि मर्चेंडाइज की बिक्री पर रॉयल्टी भी मिलती है। हाल में ही आईपीएल ने गूगल के साथ यू टयूब पर आईपीएल मैचों के ऑनलाइन प्रसारणके लिए समझौता किया है। लीग ने कलर्स के साथ भी एक समझौता किया है जिस पर आईपीएल से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे जिससे इसकी पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच होगी।इतना ही नहीं, आईपीएल के मैंचों का प्रसारण ब्रिटेन में भी होगा और इसके लिए लीग ने आईईवी 4 से विशेष समझौता किया है। इससे भारत से बारह आईपीएल के दर्शकों की संख्या में खासा इजाफा हो सकता है। दूसरे सत्र के दौरान भारत से बाहर आईपीएल के दर्शकों की संख्या 4500 ( 45 करोड़) लाख थी।इंडियन प्रीमियर लीग के चैथे सीजन यानी 2011 के लिए दो नई टीमों की नीलामी हो गई है। चेन्नई में हुई नीलामी के दौरान कई बड़ी कंपनियों ने अपना दावा ठोका मगर जीत उसी की हुई जो आईपीएल के इस तड़के के लिए खुलकर खर्च करने को तैयार था। बोली के लिए पांच कंपनियों ने क्वालिफाई किया लेकिन सबसे बड़ी बोली सहारा एडवेंचर स्पोर्ट्स ने लगाई। सहारा ने पुणे, अहमदाबाद और नागपुर जैसे सेंटरर्स के लिए बोली लगाई। आखिर में 1702 करोड़ रूपए में सहारा ने पुणे की टीम को खरीद लिया। दूसरी सबसे बड़ी बोली रॉन्देवु स्पोर्ट्स या कोच्चि कंसोर्टियम ने लगाई। रॉन्देवु ग्रुप ने लगभग 1533 करोड़ रूपए खर्चकर कोच्चि की टीम को खरीदाअगर पैसों के लिहाज से देखा जाए तो दो नई टीमें पुरानी आठ पर भारी पड़ी है। पिछली बार सभी आठ टीमें 2800 करोड़ रूपए में बिकी थी, लेकिन इस बार दो टीमें 3200 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकी।साफ है कि आईपीएल कुछ पैसा लगाकर बहुत सारा बनाने का एक सफल फॉर्मूला बन गया है और इस पैसों की गंगा में अब हर कोई डुबकी लगाना चाहता है।चेन्नई में आईपीएल की टीम हासिल करने के लिए चाल तो कई उद्दोगपतियों ने चली लेकिन कामयाबी सिर्फ उनको मिली जो टीम चाहते थे वो भी हर कीमत पर। टीम हासिल करने की कंपनियों में ऐसी होड़ लगी की 100 करोड़ से खुलने वाली बोली कब 1700 करोड़ तक पहुंच गई पता ही नहीं चला। आखिर आईपीएल के जरिए बीसीसीआई को कैसे और कितनी कमाई हो रही है। वो कौन-कौन से जरिए हैं, जिनसे आईपीएल, बीसीसीआई पर नोटों की बारिश कर रहा है।आईपीएल यानी इंडियन प्रॉफिट लीग ने एक बार फिर से बीसीसीआई पर नोटों की बारिश कर दी है। वैसे तो 2008 में आईपीएल की जब शुरुआत हुई थी, तभी से इसमें पैसा आना शुरू हो गया था। तभी तो इसके आकर्षण से बॉलीवुड सितारे तक नहीं बच पाए थे। लेकिन इस बार तो जो पैसों की बारिश हो रही है, उसका हिसाब लगाना तक मुश्किल हो गया है। इससे दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कई गुना ज्यादा अमीर हो गया है।विशेषज्ञ मानते हैं कि आईपीएल-3 से बीसीसीआई को 800 करोड़ से भी ज्यादा की कमाई हो सकती है। अभी आईपीएल-3 को शुरू हुए महज 10 दिन ही हुए हैं, और जमकर कमाई शुरू हो चुकी है। इस बार की कमाई पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा होगी।आईपीएल में इस बार जो नए करार हुए हैं उसकी वजह से बीसीसीआई की कमाई में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है।आईपीएल ने इस साल यूट्यूब के साथ 3 साल के करार के लिए 80 करोड़ रुपए जुटाए हैं। जबकि मनोरंजन चैनल कलर्स के साथ आईपीएल का तीन साल के लिए कंटेंट करार हुआ है, जिससे बीसीसीआई को 100 करोड़ रुपए की कमाई होगी। इसके अलावा स्विस वॉच कंपनी ब्रांड बैंडरलियर, कार्बन मोबाइल्स, इंडियागेम्स, माइक्रोमैक्स मोबाइल, वी रॉक मोबाइल, ग्लोबल क्रिकेट वेंचर्स के साथ हुए स्पांसरशिप करार से भी आईपीएल की झोली में अच्छी खासी रकम आएगी। पुराने स्पांसर्स से भी आईपीएल आयोजकों को जमकर पैसा मिलेगा। हीरो होंडा, वोडाफोन, सिटी बैंक और किंगफिशर जैसे मौजूदा स्पांसर्स ने भी आईपीएल पर अपना खर्च करीब 20 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा दिया है। पिछली बार करीब 30 करोड़ रुपए खर्च करने वाली टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन इस बार आईपीएल-3 पर करीब 35 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।इसके अलावा आईपीएल के मैच सिनेमाहॉल में दिखाने से भी बीसीसीआई को मोटी कमाई की उम्मीद है। यानी साफ है ललित मोदी के दिमाग की ये उपज बीसीसीआई के भंडार को लगातार भर रही है।आईपीएल कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। साथ ही टीमों की ब्रांड वैल्यू भी बढ़ रही है। वैसे 1-2 टीमें ऐसी भी हैं, जिनकी ब्रांड वैल्यू कम हुई है। इस मामले में कई चैंकाने वाली बातें सामने आई हैं।डेक्कन चार्जर्स, पिछले साल की चैंपियन टीम। गिलक्रिस्ट की कप्तानी में इसने सभी टीमों की धूल चटाते हुए आईपीएल-2 पर कब्जा जमा लिया। लेकिन अब बारी हैरान होने की है। इस चैंपियन टीम की ब्रांड वैल्यू आठों टीमों के मुकाबले सबसे कम है। शाहरुख खान की कोलकाता नाइट राइडर्स। पिछले साल की सबसे फिसड्डी टीम, ब्रांड वैल्यू के हिसाब से दूसरे नंबर पर है।पहले नंबर पर है धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स। जिसका मालिक है इंडियन सीमेंट। इसकी ब्रांड वैल्यू है 48.4 मिलियन डॉलर यानी 242 करोड़ रुपए है, पिछले साल इसकी ब्रांड वैल्यू थी 39.4 मिलियन डॉलर यानी 197 करोड़ रुपए थी।दूसरे नंबर पर है शाहरुख खान की कोलकाता नाइट राइडर्स। इसकी ब्रांड वैल्यू 46 मिलियन डॉलर यानी 230 करोड़ रुपए है। पिछले साल इसकी ब्रांड वैल्यू 42.1 मिलियन डॉलर यानी 210.5 करोड़ रुपए थी।तीसरे नंबर पर शेन वॉर्न की कप्तानी वाली आईपीएल-1 की चैंपियन राजस्थान रॉयल्स है। जिसका मालिक इमर्जिंग मीडिया ग्रुप है। इसकी ब्रांड वैल्यू 45.2 मिलियन डॉलर यानी 226 करोड़ रुपए है। पिछले साल इसकी ब्रांड वैल्यू 197. 5 करोड़ रुपए थी।चैथे नंबर पर विजय माल्या की रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर है। त्ब्ठ की ब्रांड वैल्यू 209. 5 करोड़ रुपए है। पिछले साल ये 187 करोड़ रुपए थी। पांचवे नंबर पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की मुंबई इंडियंस है। जिसके मालिक मुकेश अंबानी हैं। ये वो टीम है जिसकी ब्रांड वैल्यू कम हो गई। इसकी ब्रांड वैल्यू 40.8 मिलियन डॉलर यानी 204 करोड़ रुपए है। पिछले साल इसकी ब्रांड वैल्यू 208 करोड़ रुपए थी।छठे नंबर पर दिल्ली डेयरडेविल्स है। जिसका मालिक जीएम आर होल्डिंग ग्रुप है। इसकी ब्रांड वैल्यू 202.5 करोड़ रुपए है। पिछले साल इसकी ब्रांड वैल्यू 196 करोड़ रुपए थी।सातवें नंबर पर प्रीति जिंटा की किंग्स इलेवन पंजाब है। इसकी ब्रांड वैल्यू भी कम हो गई है। इस साल इसकी वैल्यू 180.5 करोड़ रुपए आंकी गई है। पिछले साल ये 1811. 5 करोड़ रुपए थी।आठवें नंबर पर पिछली बार की चैंपियन डेक्कन चार्जर्स है। इसका मालिक डेक्कन क्रॉनिकल ग्रुप है। गिलक्रिस्ट की कप्तानी वाली इस टीम की ब्रांड वैल्यू भी पिछली बार के मुकाबले कम हुई है। इस साल चार्जर्स की ब्रांड वैल्यू 172 करोड़ रुपए आंकी गई। पिछले साल ये ब्रांड वैल्यू 174 करोड़ रुपए थी।आठ में से 5 टीमों की ब्रांड वैल्यू बढ़ी है। यानी टीमों की खरीदने के लिए जो भारी भरकम पैसा फ्रेंजाइजियों ने इनवेस्ट किया था। वो उनके लिए देर से ही सही फायदे का सौदा साबित होने वाला है। आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 1 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है। लेकिन क्या आईपीएल सिर्फ फायदे का सौदा साबित होगा। या फिर दो नई टीमों के शामिल होने से कुछ मुश्किलें भी सामने आएंगी।क्रिकेट के सबसे ग्लैमरस रूप में दो नई टीमें आ चुकी हैं। ज्यादा टीमें, मतलब ज्यादा खिलाड़ियों को मौका मिलना। पर इससे आयोजकों की कमाई बढ़ेगी या फिर उनकी मुश्किलें, ये देखना बाकी है। आईपीएल-1 के शुरू होने से पहले तय हुआ था कि पहले दो सालों में फ्रेंचाइजियों को टीवी चैनलों से मिले रेवेन्यू का 80 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। अगले दो साल उन्हें कमाई का 70 प्रतिशत हिस्सा मिलना तय हुआ था।आईपीएल के आयोजकों ने सोनी एंटरटेनमेंट टेलिविजन और वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप से ब्रॉडकास्टिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का नौ साल का करार किया है। 8200 करोड़ रुपए का यह अनुबंध साल 2017 में समाप्त होगा। अब इस सौदे में पहले की आठ टीमों का हिस्सा तय है। इसमें दो और नई टीमें जुड़ गईं। यानी पुरानी टीमों की कमाई कम होना तय है। अब इस घाटे को पुरानी फ्रेंचाइजियां आसाना से कबूल करती हैं या नहीं इसी बात पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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