विशारदफाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला होली का त्योहार सभी को प्रेम के रंग से सराबोर कर देता है। यह दिन सभी को रंग-बिरंगे माहौल में झूमने, गाने और इठलाने को विवश कर देता है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। सभी जगह अलग-अलग नाम व मान्यताओं के साथ खेला जाता है। परंतु इसमें एक समानता रहती है कि यह पूरे देश की धरती को रंग-बिरंगे रंगों से सराबोर कर देती है। होली पर खास रिपोर्ट:-
वैदिक व पौराणिक
महत्वहोली मनाने के लिए विभिन्न वैदिक व पौराणिक मत हैं। वैदिक काल में इस पर्व को नवान्नेष्टि कहा गया है। इस दिन खेत के अधपके अन्न का हवन कर प्रसाद बांटने का विधान है। इस अन्न को होला कहा जाता है, इसलिए इसे होलिकोत्सव के रूप में मनाया जाता था। इस पर्व को नवसंवत्सर का आगमन तथा बसंतागम के उपलक्ष्य में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। कुछ लोग इस पर्व को अग्निदेव का पूजन मात्र मानते हैं। मनु का जन्म भी इसी दिन हुआ माना जाता है। इसे मन्वादितिथि भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से यह त्योहार मनाने का प्रचलन हुआ।प्रचलित कथासबसे ज्यादा प्रचलित हिरण्यकश्यप की कथा है, जिसमें वह अपने पुत्र प्रहलाद को जलाने के लिए बहन होलिका को बुलाता है। जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठती हैं तो वह जल जाती है और भक्त प्रहलाद जीवित रह जाता है। तब से यह त्योहार मनाया जाने लगा है।साहित्य में होलीहोली का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। संस्कृत के अनेक कवियों ने बसंतोत्सव का वर्णन किया है। सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है।
मुगलकाल में भी मनती थी होली
मुगलकाल शासन में भी होली मनाने की परंपरा थी। अकबर, हूमायुं, जहांगीर, शाहजहां और बहादुरशाह होली के पूर्व जोरदार तैयारियां करवाते थे एवं जोर-शोर से इस त्योहार को मनाते थे। अकबर के महल में सोने-चांदी के बड़े-बड़े बर्तनों में केवड़े और केसर से युक्त टेसू का रंग घोला जाता था। राजा अपनी बेगम और हरम की सुंदरियों के साथ होली खेलते थे।
अन्य देशों की होलीनेपाल , पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका और मारीशस में भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होली मनाई जाती है। फ्रांस में यह पर्व 19 मार्च को डिबोडिबी के नाम से मनाया जाता है। मिश्र में 13 अप्रैल को जंगल में आग जलाकर यह पर्व मनाया जाता है। इसमें लोग अपने पूर्वजों के कपड़े भी जलाते हैं। अधजले अंगारों को एक-दूसरे पर फेंकने के कारण यह अंगारों की होली होती है। थाईलैंड में यह त्योहार सौंगक्रान के नाम से मनाया जाता है। इस दिन वृद्धजनों के हाथों इत्र मिश्रित जल डलवाकर आशीर्वाद लिया जाता है। लाओस में इस त्योहार पर सभी एक-दूसरे पर पानी डालते हैं। म्यामार में इसे जलपर्व के नाम से मनाया जाता है। जर्मनी में ईस्टर के दिन घास का पुतला जलाया जाता है। अफ्रीका में यह ओमेना वोंगा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन वहां के पूर्ववर्ती अन्यायी राजा का पुतला जलाकर प्रसन्नता मनाई जाती है। पोलैंड में आर्सिना पर लोग एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाते हैं। अमेरिका में मेडफो नामक पर्व मनाने के लिए लोग नदी किनारे एकत्रित होते हैं और गोबर और कीचड़ से बने गोलों को एक-दूसरे पर फेंकते हैं। ३१ अक्टूबर को यहां सूर्य पूजा की जाती है, जिसे होवो कहते हैं। इसे भी होली की तरह मनाया जाता है। हालैंड में कार्निवल होली सी मस्ती का पर्व है। बेल्जियम की होली भारत जैसी ही होती है।इस दिन का महत्व- इस दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा महत्व है। - मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जो लोग मन को एकाग्र करके भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं वे वैकुंठ में जाते हैं।- भविष्य पुराण के अनुसार नारदजी ने महाराज युधिष्ठिर से कहा था कि वे लोगों को अभयदान दें कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सारी प्रजा उत्साहित रहें।मस्ती के रूप अनेक- मथुरा से 53 किमी दूर फालैन गांव का एक पंडा मात्र एक अंगोछा शरीर पर धारण करके 25 फुट घेरे वाली होली की धधकती आग में से निकलता है। - मालवा में होली के दिन लोग एक-दूसरे पर अंगारे फेंकते हैं। कहते हैं कि इससे होलिका राक्षसी का अंत हो जाता है। - पंजाब और हरियाणा में होली पौरुष के प्रतीक रूप में मनाई जाती है। इसलिए गुरुगोविंद सिंह ने इसका नाम होला-मोहल्ला रखा। इस दिन लोग तलवार हाथ में लेकर करतब दिखाते हुए अपने पौरुष का प्रदर्शन करते हैं।- राजस्थान में होली के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। बाड़मेर में पत्थर मार होली खेली जाती है तो अजमेर में कोड़ा होली। सलंबर कस्बे में आदिवासी गेर खेलकर होली मनाते हैं। इस दिन यहां के युवक हाथ में एक बांस जिस पर घूंघरू और रूमाल बंधा होता है, जिसे गेली कहा जाता है लेकर नृत्य करते हैं। इस दिन युवतियां फाग के गीत गाती हैं। - मध्यप्रदेश के भील होली को भगौरिया कहते हैं। इस दिन युवक मांदल की थाप पर नृत्य करते हैं। नृत्य करते-करते जब युवक किसी युवती के मुंह पर गुलाल लगाता है और बदले में वह भी यदि गुलाल लगा देती है तो मान लिया जाता है कि दोनों विवाह के लिए सहमत हैं। यदि वह प्रत्युत्तर नहीं देती तो वह किसी और की तलाश में जुट जाता है। - गुजरात में भील जाति के लोग होली को गोलगधेड़ों के नाम से मनाते हैं। इसमें किसी बांस या पेड़ पर नारियल और गुड़ बांध दिया जाता है उसके चारों और युवतियां घेरा बनाकर नाचती हैं। युवक को इस घेरे को तोड़कर गुड़, नारियल प्राप्त करना होता है। इस प्रक्रिया में युवतियां उस पर जबरदस्त प्रहार करती हैं। यदि वह इसमें कामयाब हो जाता है तो जिस युवती पर वह गुलाल लगाता है वह उससे विवाह करने के लिए बाध्य हो जाती है।- बस्तर में इस दिन लोग कामदेव का बुत सजाते हैं, जिसे कामुनी पेडम कहा जाता है। उस बुत के साथ एक कन्या का विवाह किया जाता है। इसके उपरांत कन्या की चुड़ियां तोड़कर, सिंदूर पौंछकर विधवा का प दिया जाता है। बाद में एक चिता जलाकर उसमें खोपरे भुनकर प्रसाद बांटा जाता है।- मणिपुर में होली याओसांग के नाम से मनाई जाती है। यहां धुलेंडी वाले दिन को पिचकारी कहा जाता है। याओसांग का मतलब नन्हीं सी झोपड़ी जो नदी के तट पर बनाई जाती है। इस दिन इसमें चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूजन के बाद इस झोपड़ी को अलाव की भांति जला दिया जाता है। इस झोपड़ी में लगने वाली सामग्री को बच्चों द्वारा चुराकर लाने की प्रथा है। इसकी राख को लोग मस्तक पर लगाते हैं एवं ताबीज भी बनाया जाता है। पिचकारी के दिन सभी एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। बच्चे घर-घर जाकर चांवल, सब्जी इत्यादि इकट्ठा करते हैं और फिर विशाल भोज का आयोजन किया जाता है। - हिमाचल प्रदेश के कुलु में बर्फ में रंग मिलाकर होली खेली जाती है। यह बर्फीली होली के रूप में विख्यात है। गोवा में यह शिगमोत्सव के नाम से मनाई जाती है। बंगाल में डोल यात्रा अथवा डोल पूर्णिमा के नाम से होली का त्योहार मनाया जाता है।
प्रस्तुत: सलीम
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