आम आदमी पार्टी ने जब से लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कीं, अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा और राहुल गांधी छोड़कर नरेंद्र मोदी पर हमले किए। इसकी वजह साफ थी।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में कमाल करने वाली पार्टी को इस बात का इल्म है कि आगामी आम चुनावों में अगर किसी से टक्कर लेकर वो अपना विस्तार तेजी से कर सकती है, तो वह भाजपा है। कांग्रेस को वह किसी लड़ाई में मान ही नहीं रही।
AAP नेता यह दावा कर चुके हैं कि वह लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से ज्यादा सीट जीतेंगे। अब तक भाजपा, आम आदमी पार्टी के हमलों का जवाब देने से बच रही थी, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि केजरीवाल को मोदी के बराबर खड़ा किया जाए। हालांकि, केजरीवाल इस कोशिश में काफी पहले से लगे थे। और आखिरकार मोदी की चूक की वजह से उन्हें यह मौका मिल गया है।
कांग्रेस नहीं अब भाजपा निशाने पर
अरविंद केजरीवाल ने समझ लिया है कि मोदी पर हमला
बोले बिना लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को कोई खास कामयाबी नहीं मिल
पाएगी। इसलिए उन्होंने कांग्रेस छोड़कर, भाजपा को चुन लिया है।
उनकी निगाह आगे की सियासी जमीन तैयार करने पर लगी है। दिल्ली में उनका फोकस कांग्रेस पर था और राष्ट्रीय चुनावों में भाजपा पर है। अंबानी-अडानी के बहाने केजरीवाल लगातार मोदी पर हमला बोल रहे थे।
और मोदी अपनी चुनावी रैलियों में अब तक केजरीवाल या आम आदमी पार्टी पर कोई तंज नहीं कस रहे थे। उनके हमलों का निशाना राहुल गांधी और कांग्रेस पर था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी ऐसा जानकर कर रहे थे। वो नहीं चाहते थे कि केजरीवाल और उनका सीधा मुकाबला हो। ऐसा इसलिए क्योंकि वो केजरीवाल को इतने कम दिनों में देश की बागडोर थामने की रेस में नहीं लाना चाहते।
उनकी निगाह आगे की सियासी जमीन तैयार करने पर लगी है। दिल्ली में उनका फोकस कांग्रेस पर था और राष्ट्रीय चुनावों में भाजपा पर है। अंबानी-अडानी के बहाने केजरीवाल लगातार मोदी पर हमला बोल रहे थे।
और मोदी अपनी चुनावी रैलियों में अब तक केजरीवाल या आम आदमी पार्टी पर कोई तंज नहीं कस रहे थे। उनके हमलों का निशाना राहुल गांधी और कांग्रेस पर था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी ऐसा जानकर कर रहे थे। वो नहीं चाहते थे कि केजरीवाल और उनका सीधा मुकाबला हो। ऐसा इसलिए क्योंकि वो केजरीवाल को इतने कम दिनों में देश की बागडोर थामने की रेस में नहीं लाना चाहते।
गुजरात में हुई गलती
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर नरेंद्र मोदी को इन
तमाम चीजों की जानकारी है और वो अपने साथ लंबा राजनीतिक अनुभव भी रखते हैं,
तो अरविंद केजरीवाल को हिरासत में लेने की गलती क्यों हुई?
सियासत में ककहरा पढ़ने वाला शख्स भी यह बता सकता है कि चुनावी मौसम में किसी भी नेता को जरा देर के लिए थाने पहुंचाना, उस सूबे के आका पर अंगुलियों उठाने के लिए काफी है।
यही बात बुधवार को गुजरात में हुई। केजरीवाल को सिर्फ आधे घंटे के लिए थाने ले जाया गया और पहले वजह बताई गई आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की और बाद में ट्रैफिक जाम। लेकिन इस आधे घंटे ने केजरीवाल को मोदी पर हमला बोलने का पूरा मौका दे दिया। उन्होंने रिहा होते ही कहा, "यह सब मोदीजी के इशारे पर हो रहा है। यहां कोई विकास नहीं हुआ। पोल खुलने के डर से यह सब हो रहा है।"
सियासत में ककहरा पढ़ने वाला शख्स भी यह बता सकता है कि चुनावी मौसम में किसी भी नेता को जरा देर के लिए थाने पहुंचाना, उस सूबे के आका पर अंगुलियों उठाने के लिए काफी है।
यही बात बुधवार को गुजरात में हुई। केजरीवाल को सिर्फ आधे घंटे के लिए थाने ले जाया गया और पहले वजह बताई गई आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की और बाद में ट्रैफिक जाम। लेकिन इस आधे घंटे ने केजरीवाल को मोदी पर हमला बोलने का पूरा मौका दे दिया। उन्होंने रिहा होते ही कहा, "यह सब मोदीजी के इशारे पर हो रहा है। यहां कोई विकास नहीं हुआ। पोल खुलने के डर से यह सब हो रहा है।"
AAP को हो सकता है फायदा
बुधवार का हिंसक घटनाक्रम यह बताता है कि जब
परंपरागत सेना, नए लड़ाकों से लड़ती है, तो रणनीति की किस हद तक जरूरत होती
है। इसकी गैरमौजूदगी बड़ी सेना को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। यह बड़ी
सेना भाजपा है।
गुजरात और उसके बाद दिल्ली में जो कुछ हुआ, उससे यह साफ होता है कि भाजपा को दिमागी घोड़े दौड़ाने चाहिए, ताकि अरविंद केजरीवाल की रणनीति का मुकाबला असरदार तरीके से किया जाए।
अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भाजपा वो जंग हारना शुरू कर देगी, जिसे अब तक वह जीती हुई है। यह सही है कि भाजपा AAP को समझने में कामयाब रही, लेकिन AAP को भाजपा के हमलावर रुख का अंदाजा नहीं रहा होगा। लेकिन भाजपा को न समझना AAP के लिए कोई खास नुकसानदायक नहीं है। क्योंकि केजरीवाल की पार्टी जीत के लिए नहीं लड़ रही।
गुजरात और उसके बाद दिल्ली में जो कुछ हुआ, उससे यह साफ होता है कि भाजपा को दिमागी घोड़े दौड़ाने चाहिए, ताकि अरविंद केजरीवाल की रणनीति का मुकाबला असरदार तरीके से किया जाए।
अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भाजपा वो जंग हारना शुरू कर देगी, जिसे अब तक वह जीती हुई है। यह सही है कि भाजपा AAP को समझने में कामयाब रही, लेकिन AAP को भाजपा के हमलावर रुख का अंदाजा नहीं रहा होगा। लेकिन भाजपा को न समझना AAP के लिए कोई खास नुकसानदायक नहीं है। क्योंकि केजरीवाल की पार्टी जीत के लिए नहीं लड़ रही।
भाजपा को संभलना होगा, वरना दिक्कत होगी
भाजपा की दिक्कत यह है कि वह 2014 का चुनावी
महासमर जीतने के लिए व्याकुल है और मोदी पीएम पद से कम किसी चीज पर मानने
को तैयार नहीं होंगे। अगर उसने आम आदमी पार्टी या उसकी रणनीति को समझने में
जरा भूल की, तो नुकसान काफी बड़ा होगा।
केजरीवाल की हिरासत ने आम आदमी पार्टी को बड़ा हथियार दे दिया था। अगर उनकी हिरासत के पीछे मोदी हैं, तो यह उनकी बड़ी नासमझी है। और अगर यह किसी छुटभैये नेता के इशारे पर हुआ ताकि मोदी खुश हो जाएं, तो यह उससे भी बड़ी भूल है।
यह बात सही है कि दिन में उन्हें जो फायदा मिला था, दिल्ली की हिंसा ने उसे कुछ कम जरूर कर दिया। लेकिन मोदी के लिए यह बड़ा सबक है और उन्हें चुनावों से पहले संभल जाना चाहिए।
केजरीवाल की हिरासत ने आम आदमी पार्टी को बड़ा हथियार दे दिया था। अगर उनकी हिरासत के पीछे मोदी हैं, तो यह उनकी बड़ी नासमझी है। और अगर यह किसी छुटभैये नेता के इशारे पर हुआ ताकि मोदी खुश हो जाएं, तो यह उससे भी बड़ी भूल है।
यह बात सही है कि दिन में उन्हें जो फायदा मिला था, दिल्ली की हिंसा ने उसे कुछ कम जरूर कर दिया। लेकिन मोदी के लिए यह बड़ा सबक है और उन्हें चुनावों से पहले संभल जाना चाहिए।
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