नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। समाजवादी पार्टी से सख्त नाराज इमाम बुखारी ने अब उसे सबक सिखाने के मकसद से उसकी धुर विरोधी बहुजन समाज पार्टी के पक्ष में खड़े होने का मन बनाया है। यह सपा के लिए जहां एक बड़ा धक्का होगा, वहीं बसपा को अल्पसंख्यकों में पैठ मजबूत करने का माध्यम मिल जाएगा। लोकसभा चुनाव में उसे इसका फायदा मिल सकता है। अल्पसंख्यकों में विश्वास जताने में अब तक नाकाम रही बसपा के हाथ यह बड़ी सफलता लगी है। लंबे समय तक समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी करने वाले शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने अब बसपा के हाथी पर चढ़ने का मन बना लिया है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से नाराजगी की कई वजहें हैं, जिनमें उनके साथ किए वायदों को सपा ने पूरा नहीं किया है। पिछले दिनों जामा मस्जिद में अपने समर्थकों के साथ एक बैठक में उन्होंने जहां सपा सरकार की कड़ी आलोचना की थी, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की जमकर तारीफ भी की थी। इसी के साथ यह संकेत साफ हो गए थे कि आगामी चुनाव में बुखारी बसपा के साथ जा सकते हैं।
इमाम बुखारी ने मायावती की पार्टी को चुनाव में बिना शर्त समर्थन देने का फैसला किया है, जिसकी औपचारिक घोषणा अगले सप्ताह हो सकती है। इस सिलसिले में बसपा सांसद सालिम अंसारी ने जामा मस्जिद में इमाम के साथ पहली बैठक में विचार विमर्श कर लिया है। सांसद अंसारी बसपा सुप्रीमो मायावती के बेहद नजदीकी नसीम सिद्दीकी के खास कहे जाते हैं। इसी दौरान समर्थन देने का ताना बाना तैयार कर लिया गया था। सपा से मुस्लिमों के मोहभंग का फायदा उठाने के लिए बसपा बुखारी को आगे कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक दूसरे चरण की बैठक 10 मार्च को लखनऊ में मायावती के करीबी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साथ बुखारी के छोटे भाई सैय्यद तारिक बुखारी के साथ होगी। बैठक में बुखारी के एडवाइजर चौधरी राहत महमूद शामिल होंगे। इस दौरान मायावती से बुखारी की मुलाकात और समर्थन देने की औपचारिक घोषणा की तारीख तय की जाएगी।
इमाम बुखारी ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल नेता ममता बनर्जी को भी समर्थन देने का एलान किया है। लेकिन बुखारी ने उनके साथ स्टेज शेयर न करने का फैसला किया है। क्योंकि ममता के साथ स्टेज पर अन्ना हजारे होंगे। उनकी नजर में अन्ना संघ से जुड़े हैं। जबकि मायावती के साथ स्टेज शेयर करने में बुखारी को कोई एतराज नहीं होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें