सुकमा/जगदलपुर. नक्सली हमले के एक दिन बाद, बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे रायपुर पहुंचे।मंगलवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने जो क्रूरता दिखाई उसकी दास्तान दिल दहला देने वाली है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले दो सौ से ज्यादा हथियारबंद नक्सलियों ने झीरम घाटी के पास रोड ओपनिंग के लिए निकली सीआरपीएफ और जिला पुलिस की पार्टी पर जबर्दस्त हमला किया। नक्सलियों ने कई घायल जवानों को चाकू से गोद कर उनकी हत्या कर दी। जवानों की हत्या करने के बाद नक्सली उनके पास के सारे हथियार, गोलियां, वायरलेस सेट लूटकर भाग निकले। जवानों के शरीर पर बंधे बुलेट के पाउच को भी काट कर वे साथ ले गए। यहां तक कि शव के नीचे भी बम रख गए थे। हमले के कुछ देर बाद ही जब भास्कर संवाददाता वहां पहुंचा, तो पूरा हाईवे खून से सना हुआ था। सड़क और पास के खेतों में जवानों के गोलियों से छलनी शव पड़े थे। गोलियों के खोखे बिखरे हुए थे।
गोलीबारी और आईईडी से किए विस्फोटों में सीआरपीएफ और जिला पुलिस के 15 जवानों के अलावा वहां से गुजर रहा जगदलपुर का एक कारोबारी विक्रम निषाद भी मारा गया। विक्रम सुकमा में ऑटो पार्ट्स की दुकान चलाता था। मोटे अनुमान के अनुसार दोनों तरफ से पांच सौ से ज्यादा गोलियां चलीं।
हमले की कहानी
काफी दिनों से जगदलपुर से सुकमा के बीच नेशनल हाईवे का काम चल रहा है। निर्माण में लगे ठेकेदारों को सुरक्षा देने लिए तोंगपाल और आसपास के इलाके से सीआरपीएफ और जिला पुलिस की टीमें लगभग रोज जाती थीं। मंगलवार को सीआरपीएफ के एक अधिकारी भी आने वाले थे।
सुबह करीब नौ बजे सीआरपीएफ और जिला पुलिस के 50-55 जवानों की टीम तोंगपाल से रोड ओपनिंग के निकली थी। पहाड़ और जंगल के बीच से सीधी रोड पर पैदल निकले ये जवान करीब सवा दस बजे के आसपास साढ़े तीन किलोमीटर दूर ताकवाड़ा के पास पहुंचे। जवानों को जरा भी भान नहीं था कि उनके चारों तरफ दो सौ से ज्यादा हथियारबंद नक्सलियों ने घेरा डाल दिया है। ढलान से लेकर बांध तक सड़क के आसपास के पेड़ों के ऊपर, उनकी ओट में, खेतों की मेढ़ के पीछे बैठे नक्सलियों के पास एके 47, इंसास, लाइट मशीनगन जैसे हथियार थे। नक्सलियों की तैयारी का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने आधा किलोमीटर लंबा एंबुश बनाया था, ताकि उसके बीच में फंसे जवान बच ही न पाएं।
नक्सलियों की तरफ फायरिंग शुरू होते ही स्वाभाविक तौर पर जवान ओट लेने के लिए खेत की मेढ़ और पेड़ों के पीछे भागते। नक्सलियों ने इसका अंदाज लगाकर ऐसे सारे स्थानों पर प्रेशर बम लगा दिए थे। सीआरपीएफ और जिला पुलिस के जवानों के पास आते ही नक्सलियों ने जबर्दस्त फायरिंग की। सामने चल रहे सात जवान वहीं ढेर हो गए। बाकी जवान खेतों और पेड़ों के पीछे भागे। वहां प्रेशर बम भी लगे हुए थे। दो से तीन किलोग्राम विस्फोटक से बनाए गए ये बम जवानों के पैर पड़ते ही फट गए। तीन जवान इन बमों की वजह से मारे गए। नक्सली चारों तरफ से फायरिंग कर रहे थे। बचने की गुंजाइश ही नहीं छोड़ी थी। हमले में बुरी तरह से घायल तीन अन्य जवानों को उपचार के लिए रायपुर भेजा गया है।
पिछले साल 25 मई को नक्सलियों ने इसी झीरम घाटी इलाके में कांग्रेस के काफिले पर हमला बोला था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा समेत 29 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
ईयरफोन का शौक महंगा पड़ा
नक्सलियों के हमले में मोटरपार्ट्स के कारोबारी विक्रम निषाद के लिए ईयरफोन का शौक जानलेवा साबित हुआ। वह गाना सुनने में मशगूल था। उसे पता ही नहीं चला कि कुछ दूरी पर फायरिंग हो रही है। इसी बीच उसे नक्सलियों ने एंबुश से पहले ही उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह उन्हें नजरअंदाज कर आगे बढ़ गया और गोलीबारी के बीच आ जाने से उसकी मौत हो गई।
दरभा घाटी हमले से कुछ ही दूर
नक्सलियों ने मंगलवार को जिस जगह पर पुलिस पार्टी पर हमला किया, वह दरभा घाटी के उस हिस्से से बमुश्किल 5-6 किलोमीटर दूर है, जहां पिछले साल 25 मई को नक्सलियों ने कांँग्रेस के काफिले पर हमला किया था। हमले में नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा समेत 29 लोग मारे गए थे। गंभीर रूप से घायल विद्याचरण शुक्ल की बाद में दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई।
दौरा रद्द कर दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री
झीरम घाटी में नक्सली वारदात की वजह से मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह मंगलवार को दिल्ली दौरा रद्द कर रायपुर लौट आए। यहां आकर उन्होंने सीएम हाउस में आपात बैठक ली तथा वारदात की जांच के आदेश दिए। एडीजी आरके विज को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री ने दोपहर में दिल्ली से ही सीएस, एसीएस और डीजीपी को घटनास्थल पर जाने के निर्देश दे दिए थे। अफसरों के मुताबिक खुद सीएम भी बुधवार को घटनास्थल का जायजा लेंगे। मंगलवार की शाम रायपुर आते ही सीएम ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और डाक्टरों को उनके बेहतर इलाज के निर्देश दिए।
रमन ने कहा कायराना हमला
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने झीरम घाटी में जवानों पर हुए नक्सली हमले की निंदा की है। उन्होंने हमले को कायराना करतूत करार दिया है। उन्होंने शहीदों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायल जवानों के इलाज की पूरी व्यवस्था करने कहा है। सीएम ने कहा कि नक्सलवाद प्रदेश ही नहीं पूरे देश की समस्या है। छत्तीसगढ़ पूरे देश के लिए नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और बस्तर का विकास लगातार चलता रहेगा।
घटना के लिए सीएम जिम्मेदार : कांग्रेस
झीरमघाटी नक्सल वारदात में जवानों की मौत के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को जिम्मेदार ठहराया है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की है।उन्होंने इस घटना की घोर निंदा करते हुए कहा कि प्रदेश में लगातार नक्सली घटनाएं हो रही हैं, जिनमें शासन एवं प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। इसके पहले 25 मई को झीरम घाटी में ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं अन्य वरिष्ठ नेताओं सहित 32 लोग नक्सली घटना में शहीद हुए थे जिसे राज्य शासन ''विभाग की चूक" बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था। उन्होंने कहा कि राज्य शासन नक्सली घटनाओं पर उच्च स्तरीय बैठक करके महज खानापूर्ति कर रहा है। पुलिस का खुफिया तंत्र एक बार फिर फेल हुआ है जिसके कारण फील्ड में तैनात जवान लगातार नक्सली घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। खुफिया विभाग के अधिकारी विपक्षी नेताओं की जासूसी करने में व्यस्त हैं। इस घटना के लिए पुलिस के आला अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
शिंदे आज आएंगे
नक्सली घटना का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे बुधवार को रायपुर आएंगे। वे सुबह आठ बजे रायपुर पहुंचेंगे तथा राज्यपाल शेखर दत्त और मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के साथ बस्तर रवाना होंगे। उधर, सीआरपीएफ के डीजी सहित गृह मंत्रालय के तमाम आला अधिकारी रायपुर पहुंच गए है।
आगे की स्लाइड में पढ़िए नक्सलियों ने लाशों के नीचे लगाया बम...
तस्वीरों में देखिए साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला
जवानों की लाश के नीचे लगाया बम
मृत सीआरपीएफ के एएसआई मनमोहन सिंह के शव के नीचे नक्सलियों ने प्रेशर बम लगा दिया था। जैसे ही शव को उठाया जाता, लीवर रिलीज हो जाता और बम फट जाता। शवों की सावधानी से जांच के दौरान सुरक्षा बलों की नजर प्रेशर बम पर पड़ी और उसे हटा लिया।
फिर वही चूक - एक साथ चलने की
जवानों को निर्देश थे कि वे एक साथ नहीं चलेंगे, सड़क की जगह उससे दूरी बनाकर चलेंगे। 28 फरवरी को कुआकोंडा में भी फोर्स ने इन निर्देशों को नहीं माना। और इस बार भी यहां चूक हुई।
हमला क्यों
1. डर पैदा करना
विधानसभा चुनाव में बहिष्कार का असर नहीं दिखा। अब पहले से डराने की कोशिश।
2. दबदबा
नक्सली पुलिसिया दखल को हर हाल में रोकना चाहते हैं। इसीलिए ये हमले किए।
3. ताकत दिखाना
हाल के दिनों में नक्सलियों के प्रवक्ता कहे जाने वाले उसेंडी ने आत्मसमर्पण किया था। संगठन में कमजोरी की बात हो रही थी। बड़े हमले करके ताकत दिखाने की कोशिश।
आगे की स्लाइड में पढ़िए नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों के नाम...
तस्वीरों में देखिए साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला
शहीदों के नाम
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल -इंस्पेक्टर सुभाष व टीआर सिंह, एएसआई मनमोहन सिंह, हेड कांस्टेबल लखबीर सिंह व प्रदीप कुमार, कांस्टेबल नीरज कुमार, कौशल किशोर, नाहर सिंह मनोज बेक, फैजउल हक, सोमनाथ राठौड़। सभी सीआरपीएफ 80 वीं बटालियन एफ कंपनी के थे। जिला पुलिस बल नकुल राम ध्रुव, आदित्य साहू, ईशु पिस्दा, राजेंद्र गायकवाड़
हथियार लूटे
-3 अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर
-1 एके 47
-5 नग एकेएम 4 इंसास
-1 एलएमजी, दो रेडियो सेट (वाकी-टाकी)
-जिला पुलिस बल के जवानों से 2 एसएलआर और तीन इंसास
-बड़ी मात्रा में मैगजीन व बुलेट भी ले गए।
एडीजी विज करेंगे जांच
सीएम हाउस में आपात बैठक के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जांच के आदेश दिए। एडीजी आरके विज जांच करेंगे। मुख्यमंत्री दिल्ली में थे। घटना के बाद शाम को लौट आए। सीएम बुधवार को घटनास्थल जाएंगे।
प्रदेश के पूर्व सुरक्षा सलाहकार गिल कहते हैं एप्रोच ही कैजुअल
सीनियर आईपीएस, और छत्तीसगढ़ के पूर्व सुरक्षा सलाहकार केपीएस गिल ने कहा कि सुरक्षा को लेकर शासन-प्रशासन और पुलिस की एप्रोच ही कैजुअल है। वारदात के बाद अलर्ट...शोक-संवेदना...चेतावनी कि किसी को नहीं बख्शेंगे...और फिर अगली वारदात का इंतजार। और क्या कहा गिल ने...
आगे की स्लाइड में पढ़िए केपीएस गिल से विशेष बात-चीत
तस्वीरों में देखिए साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला
खबर ही नहीं रहती
इंटेलिजेंस कमजोर है। वैसे घने जंगल और कम आबादी वाले स्थानों पर कमजोर ही रहती है।
हेलिकॉप्टर से क्या देखेंगे?
सड़कों व ग्राउंड का अध्ययन करना ही पड़ेगा। पंजाब में हमने किया और सफल भी रहे।
हमला होगा, तब करेंगे सुरक्षा
यहां सिफारिश की थी कि कैंपों के लिए अलग आईपीएस हों। नहीं माने। जब हमले हुए तब नियुक्ति की।
करारा जवाब नहीं देते
झीरम वारदात के बाद फोर्स आक्रामक होती तो फिर हमला नहीं होता। हम करारा जवाब नहीं देते।
आगे की स्लाइड में पढ़िए थाने की पीछे भी हुआ हमला...
तस्वीरों में देखिए साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला
अंतागढ़ थाने के पीछे पुलिस पार्टी पर हमला
नक्सलियों ने मंगलवार रात साढ़े 9 बजे के आसपास अंतागढ़ थाने के पास पुलिस पर हमला कर दिया। नक्सलियों की संख्या 50 से ज्यादा बताई जा रही है। रात साढ़े दस बजे तक गोलीबारी चली। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर दो बम भी फेंके। अंतागढ़ से आमाबेड़ा तक सड़क बनाने का काम कर रही कंपनी ने थाने से 200 मीटर दूर अपना प्लांट लगा रखा है। नक्सलियों ने कुछ दिन पहले प्लांट को फूंकने की धमकी दी थी। इसके बाद से रोज रात को पुलिस की एक पार्टी प्लांट की सुरक्षा के लिए जाती थी। आज भी 40 जवानों का दल प्लांट की तरफ निकला था। रास्ते में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग कर दी। एक घंटे चली गोलीबारी में दोनों तरफ से दो सौ से ज्यादा गोलियां चलीं। फायरिंग की सूचना मिलते ही अंतागढ़ थाने के अलावा बीएसएफ को घटनास्थल रवाना किया गया है। फायरिंग और बीच-बीच में हो रहे बम विस्फोटों से इलाके में दहशत थी। अंतागढ़ शहर में दस सालों में नक्सलियों का दूसरा बड़ा हमला है। करीब नौ साल पहले नक्सलियों ने अंतागढ़ थाने पर अटैक किया था।
तस्वीरों में देखिए साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें