शुक्रवार, मार्च 07, 2014

दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लोकतंत्र के लिए खतराः सुप्रीम कोर्ट

केजरीवाल को ‌मिला सहारा, बीजेपी-कांग्रेस से जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली चुनाव की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और आप की सरकार को समर्थन देने वाली कांग्रेस को नोटिस देकर राष्ट्रपति शासन को लेकर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विधानसभा को इस तरीके से भंग रखना लोकतंत्र के लिए खतरा है।

केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताया था कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव इतनी जल्दी कराना जनता के हित में नहीं है। केंद्र ने कहा था कि केजरीवाल के इस्तीफा देने और बीजेपी का सरकार बनाने से इंकार करने के बाद यही एक रास्ता रह गया था।

LG ने कहा, चुनाव कराना जनता के हित में नहीं

केंद्र द्वारा दायर इस हलफनामे में कहा गया था कि चुनाव ना कराने के पीछे दो कारण ‌दिए (उप राज्यपाल) हैं। चूंकि ‌दिल्ली में चुनाव दिसंबर के पहले हफ्ते में हुआ था और सरकार 28 दिसंबर को बनी थी इस कारण इतनी जल्दी चुनाव कराना कोई अच्छा विचार नहीं है।

हलफनामे में आगे कहा गया कि उप राज्यपाल ने बताया कि आने वाले दिनों में हो सकता है कि कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने की इच्छा दिखाए। इस कारण भी विधानसभा को भंग नहीं किया गया है।

केंद्र ने उप राज्यपाल के इन जवाबों को सही, संबंधित और स्वीकार्य माना है। हलफनामे में उप राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि हो सकता है कि बीजेपी आने वाले दिनों में सरकार बनाने का दावा रख सकती है।
  

लोकसभा चुनाव के ‌साथ हो दिल्ली का चुनाव

24 फरवरी को आम आदमी पार्टी की याचिका पर यह सुनवाई हो रही है। आप ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था।

इस याचिका में बीजेपी और कांग्रेस को पार्टी बनाया गया है, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट ने दोनों ने जवाब मांगा है।

आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह उप राज्यपाल को निर्देश दे और लोकसभा चुनाव के साथ दिल्ली विधानसभा का चुनाव कराए।
 

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