गुरुवार, मार्च 13, 2014

16 ‌दिसंबर गैंगरेप: हाईकोर्ट ने बरकरार रखी फांसी की सजा

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दी थी मौत की सजा

दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 दिसम्बर गैंगरेप मामले के चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी है।

जस्टिस रेवा खेत्रपाल और जस्टिस प्रतिभा रानी की बेंच ने दोषियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते गुरुवार को उसे खारिज कर दिया।

इस केस की चार्जशीट पिछले साल 3 जनवरी को साकेत फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल की गई थी। जहां चारों आरोपियों को फांसी की सजा दी गई थी।

मुख्य आरोपी ने तिहाड़ में की थी आत्महत्या

साकेत फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चार दोषियों 13 सितंबर 2013 को मुकेश (26), अक्षय (28), पवन (19) और विनय (20) को मौत की सजा सुनाई थी।

जबकि मामले के मुख्य आरोपी बस ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। वहीं नाबालिग को जुवेनाइल कोर्ट ने 31 अगस्त 2013 को फैसला सुनाते हुए तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया है। जोकि किसी भी नाबालिग के लिए अधिकतम सजा है।

बता दें कि 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में मेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप किया था जिसमें एक नाबालिग भी शामिल है।

सिंगापुर में हुई थी दामिनी की मौत

दुष्कर्म के बाद दोषियों ने पैरामेडिकल छात्रा और उसके दोस्त को फटे कपड़ों में चलती बस से सड़क किनारे फेंक दिया और फरार हो गए थे।

दोषियों ने दुष्कर्म के बाद लड़की के शरीर में लोहे की रॉड डाल दी थी जिससे उसकी आंत खराब हो गई थी।

कई दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद 29 दिसम्बर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ हॉ‌‌स्पिटल में उसकी मौत हो गई थी, जहां उसे इलाज के लिए ले जाया गया था।

पूरे देश में उठी थी फांसी की मांग

दामिनी से चलती बस में दरिंदगी करने वालों को फांसी के सजा देने की मांग पूरे देश में उठी थी। इसके लिए दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर देश के कोने-कोने में आंदोलन भी शुरू हुए थे।

लोगों के गुस्से को देखते हुए केंद्र सरकार ने रेप के कानून में बदलाव करते हुए रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस में दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया था।

इस केस में नाबालिग आरोपी को भी फांसी की सजा देने की मांग जोरों से उठी थी लेकिन कोर्ट ने उसे तीन साल जेल की सजा ही दी।
 
 
 
 
 

कोई टिप्पणी नहीं: