वाराणसी। महाशिवरात्रि पर बाबा भक्तों के लिए गंगा की लहरों पर फर्राटे
भरेगी स्टीमर एंबुलेंस। एंबुलेंस जल पुलिस की होगी और इस पर सवार होंगे
डाक्टर समेत दवा, स्ट्रेचर व प्राथमिक उपचार के साजोसामान। मुख्यालय
दशाश्वमेध घाट स्थित जल पुलिस चौकी होगा। 26 फरवरी की रात 12 बजे से आठ-आठ
घंटे की शिफ्ट में डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की तीन टीमें तैनात हो
जाएंगी।
काशी पुराधिपति महादेव से जुड़े महापर्व पर घाटों और तंग गलियों में स्नानार्थियों, दर्शनार्थियों और मेलार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुछ इसी तरह का खाका खींचा है। घाटों से लगी गलियां संकरी हैं और इनमें एंबुलेंस पहुंच पाना संभव नहीं होता। ऐसे में डाक्टरों की टीम फोन कॉल आते ही पहुंचेगी और आवश्यकता होने पर स्ट्रेचर की मदद से स्टीमर एंबुलेंस, रोगी वाहन उपलब्ध हो सकने वाले घाट तक पहुंचाएगी।
सीएमओ डा. एमपी चौरसिया ने डाक्टरों को बावर्दी मुश्तैद रहने और मोबाइल ऑन रखने के निर्देश दिए हैं।
थानों-चौराहों पर रहेंगी डाक्टरों की टीमें- जिले में डाक्टरों की 26 टीमें लगाई जाएंगी। पुलिस कंट्रोल रूम में 27 की सुबह 10 से रात 12 तक और काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित पुलिस चौकी पर 27 की भोर चार से रात 12 बजे तक, ज्ञानवापी परिसर व चितरंजन पार्क में मय एंबुलेंस 26 की रात 12 बजे से 28 की सुबह आठ बजे तक, मारकंडेय महादेव मंदिर, रामेश्वर महादेव मंदिर व शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर में 26 की रात 12 बजे से 24 घंटे डाक्टरों की टीम लगाई गई है।
महाशिवरात्रि पर्व कल-वैदिक वांगमय में भगवान शंकर सृष्टि के आदिदेव हैं। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शंकर ने शक्ति का वरण किया था। ऐसे में यह पर्व भगवान शिव के परिणय उत्सव महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। यह रात्रिपरक महापर्व इस बार 27 फरवरी को पड़ रहा है।
बाबा के दर्शन पर ट्रैफिक की जकड़न-
दो किमी दायरे में नहीं वाहन पार्किंग की व्यवस्था, सड़कों की पटरी व गलियों के किनारे है। कमाल देखिए कि शायद ही देश में मैदानी भाग का कोई ऐसा तीर्थ हो, जहां दर्शन के लिए लंबी दूरी बस इसलिए तय करनी पड़ती हो क्योंकि वाहनों की पार्किंग के लिए व्यवस्था दो किमी के दायरे में कहीं है ही नहीं। यही वजह है कि शिवरात्रि जैसे खास मौकों पर एक तरफ मैदागिन से रास्ता बंद हो जाएगा तो दूसरी ओर गुरुबाग, रामापुरा, लहुराबीर, सोनारपुरा पर ही वाहनों को मंदिर की ओर बढ़ने से रोक दिया जाएगा।
सोचिए यदि आप अपनी गाड़ी से बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं तो उसकी पार्किंग कहां होगी। अंतत: लबे सड़क पर कोई जुगाड़ खोजना होगा। कार की बात छोड़िए, बाइक से दर्शन के लिए पहुंचने पर उसे ही खड़ी करने के लिए जगह की तलाश के बाबत दिमाग पर जोर दीजिए। गोदौलिया, चौक या बांसफाटक जहां भी बाइक खड़ी करना चाहेंगे दुकानदारों की ऐसी दुत्कार डोलनी होगी कि बस आगे ही बढ़ते दिखेंगे। आम दिनों में दशाश्वमेध पर पार्किंग है जहां दिन में सिर्फ दो पहिया वाहन पहुंच सकते हैं।
पटरियों पर अतिक्रमण बेहिसाब-मैदागिन से गोदौलिया के बीच जहां कहीं देखेंगे सड़क पर पटरी नाम की कोई चीज नहीं दिखेगी। वजह यह कि पटरियां तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है। यही वजह है कि ऐसी दुकानों के सामने लोग अपने या ग्राहकों के वाहन तो खड़े होने देते हैं लेकिन यदि कोई दर्शनार्थी वाहन लेकर पहुंचा तो उसे दुत्कार मिलती है।
ऐसा नहीं है कि वाहनों की पार्किंग की दिक्कत सिर्फ गोदौलिया और आसपास के क्षेत्र में ही है। शहर के कमोवेश सभी प्रमुख क्षेत्रों में यह दिक्कत है। बड़ी संख्या में वाहनों के सड़कों और पटरियों पर पार्क किए जाने से भीषण जाम से दो-चार होना पड़ता है। इसी वजह से जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने वीडीए की कमान संभालते ही शहर भर में बेसमेंट और स्टील पार्किंग के लिए अभियान चलवाया। कुछ दिनों तक तो वीडीए के जोनल अधिकारियों ने कसरत की। उसके सार्थक परिणाम भी देखने को मिले। कई बेसमेंट खाली कराए गए जहां पार्किंग की जगह दुकानें या गोदाम बने हुए थे। तय हुआ था कि इन पार्किंग स्थलों में सड़क पर खड़े होने वाले वाहनों को खड़ा कराया जाएगा। बड़ी विडंबना यह कि डीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को भी वीडीए के जोनल अधिकारियों ने हवा कर दिया।
काशी पुराधिपति महादेव से जुड़े महापर्व पर घाटों और तंग गलियों में स्नानार्थियों, दर्शनार्थियों और मेलार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुछ इसी तरह का खाका खींचा है। घाटों से लगी गलियां संकरी हैं और इनमें एंबुलेंस पहुंच पाना संभव नहीं होता। ऐसे में डाक्टरों की टीम फोन कॉल आते ही पहुंचेगी और आवश्यकता होने पर स्ट्रेचर की मदद से स्टीमर एंबुलेंस, रोगी वाहन उपलब्ध हो सकने वाले घाट तक पहुंचाएगी।
सीएमओ डा. एमपी चौरसिया ने डाक्टरों को बावर्दी मुश्तैद रहने और मोबाइल ऑन रखने के निर्देश दिए हैं।
थानों-चौराहों पर रहेंगी डाक्टरों की टीमें- जिले में डाक्टरों की 26 टीमें लगाई जाएंगी। पुलिस कंट्रोल रूम में 27 की सुबह 10 से रात 12 तक और काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित पुलिस चौकी पर 27 की भोर चार से रात 12 बजे तक, ज्ञानवापी परिसर व चितरंजन पार्क में मय एंबुलेंस 26 की रात 12 बजे से 28 की सुबह आठ बजे तक, मारकंडेय महादेव मंदिर, रामेश्वर महादेव मंदिर व शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर में 26 की रात 12 बजे से 24 घंटे डाक्टरों की टीम लगाई गई है।
महाशिवरात्रि पर्व कल-वैदिक वांगमय में भगवान शंकर सृष्टि के आदिदेव हैं। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शंकर ने शक्ति का वरण किया था। ऐसे में यह पर्व भगवान शिव के परिणय उत्सव महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। यह रात्रिपरक महापर्व इस बार 27 फरवरी को पड़ रहा है।
बाबा के दर्शन पर ट्रैफिक की जकड़न-
दो किमी दायरे में नहीं वाहन पार्किंग की व्यवस्था, सड़कों की पटरी व गलियों के किनारे है। कमाल देखिए कि शायद ही देश में मैदानी भाग का कोई ऐसा तीर्थ हो, जहां दर्शन के लिए लंबी दूरी बस इसलिए तय करनी पड़ती हो क्योंकि वाहनों की पार्किंग के लिए व्यवस्था दो किमी के दायरे में कहीं है ही नहीं। यही वजह है कि शिवरात्रि जैसे खास मौकों पर एक तरफ मैदागिन से रास्ता बंद हो जाएगा तो दूसरी ओर गुरुबाग, रामापुरा, लहुराबीर, सोनारपुरा पर ही वाहनों को मंदिर की ओर बढ़ने से रोक दिया जाएगा।
सोचिए यदि आप अपनी गाड़ी से बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं तो उसकी पार्किंग कहां होगी। अंतत: लबे सड़क पर कोई जुगाड़ खोजना होगा। कार की बात छोड़िए, बाइक से दर्शन के लिए पहुंचने पर उसे ही खड़ी करने के लिए जगह की तलाश के बाबत दिमाग पर जोर दीजिए। गोदौलिया, चौक या बांसफाटक जहां भी बाइक खड़ी करना चाहेंगे दुकानदारों की ऐसी दुत्कार डोलनी होगी कि बस आगे ही बढ़ते दिखेंगे। आम दिनों में दशाश्वमेध पर पार्किंग है जहां दिन में सिर्फ दो पहिया वाहन पहुंच सकते हैं।
पटरियों पर अतिक्रमण बेहिसाब-मैदागिन से गोदौलिया के बीच जहां कहीं देखेंगे सड़क पर पटरी नाम की कोई चीज नहीं दिखेगी। वजह यह कि पटरियां तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है। यही वजह है कि ऐसी दुकानों के सामने लोग अपने या ग्राहकों के वाहन तो खड़े होने देते हैं लेकिन यदि कोई दर्शनार्थी वाहन लेकर पहुंचा तो उसे दुत्कार मिलती है।
ऐसा नहीं है कि वाहनों की पार्किंग की दिक्कत सिर्फ गोदौलिया और आसपास के क्षेत्र में ही है। शहर के कमोवेश सभी प्रमुख क्षेत्रों में यह दिक्कत है। बड़ी संख्या में वाहनों के सड़कों और पटरियों पर पार्क किए जाने से भीषण जाम से दो-चार होना पड़ता है। इसी वजह से जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने वीडीए की कमान संभालते ही शहर भर में बेसमेंट और स्टील पार्किंग के लिए अभियान चलवाया। कुछ दिनों तक तो वीडीए के जोनल अधिकारियों ने कसरत की। उसके सार्थक परिणाम भी देखने को मिले। कई बेसमेंट खाली कराए गए जहां पार्किंग की जगह दुकानें या गोदाम बने हुए थे। तय हुआ था कि इन पार्किंग स्थलों में सड़क पर खड़े होने वाले वाहनों को खड़ा कराया जाएगा। बड़ी विडंबना यह कि डीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को भी वीडीए के जोनल अधिकारियों ने हवा कर दिया।
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