मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने के लिए नई लड़कियों को इस इंडस्ट्री के एक गंदे चेहरे से भी रू-ब-रू होना पड़ता है। इस इंडस्ट्री में उनके इस स्ट्रगल का फायदा उठाने के लिए कई कास्टिंग एजेंट बैठे हैं। ये कास्टिंग एजें किस तरह नई लड़कियों को काम दिलाने के बहाने अपने जाल में फंसाते हैं, इसी का पता लगाने के लिए हमारे सहयोगी अखबार 'मिड डे' की दो रिपोर्टरों ने एक स्टिंग किया। इन दोनों रिपोर्टरों ने इस चमकती फिल्म इंडस्ट्री के पीछे की काली सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की है। दोनों ने कास्टिंग काउच के सच को सामने लाने के लिए क्या-क्या किया, उन्हीं की जुबानी आपको बताते हैं।
सबसे पहले जब हमने बॉलीवुड के ऐसे एजेंटों कीच्सच्चाई से पर्दा उठाने की मुहिम छेड़ी तो हमारा पहला कदम था ऐसे एजेंटों से मिलने का। हमने जब ऐसे एजेंटों को काम दिलाने के लिए फोन किया तो इन लोगों ने पहले तस्वीर की मांग की। इनके मुताबिक अगर फोटो इन्हें फिट लगती है तभी वे मिलने बुलाते हैं वरना नहीं। कुछ एजेंट तो ये कहने से भी पीछे नहीं हटे कि उन्हें सेमी न्यूड फोटो चाहिए तो किसी ने बिकनी वाली फोटो की मांग की। हमने अपने हिसाब से उन्हें बहलाने की कोशिश की और वे मिलने के लिए मान गए।
हमने पहले पीयूष नाम के एक एजेंट से संपर्क साधा, लेकिन पीयूष को हमारे पत्रकार होने का पता चल गया। इसके बाद हमने दूसरे एजेंटों से संपर्क किया। इन्हीं कास्टिंग एजेंटों के बारे में आपको बताते हैं।
विजय रावल (कास्टिंग एजेंट)
ये टीवी सितारों को फिल्मों में काम दिलाने जिम्मा उठाते हैं। इनसे फोन पर बातचीत के बाद तीन बजे विले पार्ले स्थित भाईदास हॉल में मिलने का प्लान बना। इसके बाद जैसे ही रिपोर्टर ने एंट्री ली विजय उसके पीछे अंदर चले गए। अंदर कई लड़कियां लॉन में बैठी हुई थीं, विजय सबको 'बेबी' कहकर बुलाने लगा। इसके बाद वो रिपोर्टर के साथ खाली कमरे में चला गए। विजय उस रिपोर्टर के बहुत पास आकर बैठ गए। रिपोर्टर ने उन्हें अपना परिचय ग्वालियर की नेहा शर्मा के तौर पर दिया। विजय ने सबसे पहली बात यही कही, 'अगर तुम्हे एक्टिंग में आना है तो कई कॉम्प्रोमाइज (समझौते) करने होंगे। अगर तुम ऐसा करोगी तो बहुत आगे जाओगी।'
इसके बाद विजय ने नेहा को सेक्सी ड्रेस पहनने की बात कही। विजय ने आगे कहा कि 'जब आप किसी से मिलने जाती हैं तो आपको सेक्सी कपड़े पहनने चाहिए।' उन्होंने कहा कि इतनी फिट बॉडी अगर है तो उसका पूरा इस्तेमाल होना चाहिए।
ये शरीर भगवान का दिया हुआ है, पहले आपको पैसे बनाने होंगे,उसके बाद एक्टिंग में चांस मिलेगा। उसके बाद वो रिपोर्टर को ये बताने लगे कि उसे किस साइज की ब्रा पहननी चाहिए। विजय ने ये भी कहा कि अगर आप ऑडिशन में 30 प्रतिशत ही कर पाती हो तो बाकी 70 प्रतिशत आपके कॉम्प्रोमाइज की बदौलत हो जाता है। इसके साथ ही विजय ने कहा कि 'वे खुद ही लड़कियों के अंडर गारमेंट्स पर खर्च करते हैं।
इसके बाद विजय अपने उन दोस्तों के बारे में बताने लगे, जो लड़कियों पर पैसा उड़ाने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर तुम चाहो तो मेरे कई दोस्तों के पास इतना पैसा है कि वे तुम्हे अपने पास बुलाने के लिए कहीं की भी फ्लाइट टिकट भेज देंगे।' उन्होंने रिपोर्टर के लिए सेक्सी अंडरगारमेंट्स पर खर्च करने की बात भी कही।
विजय इस दौरान काम की बात करना ही भूल गए वो बस कॉम्प्रोमाइज के तरीके ही बताने में जुट गए उसने बताया कि एक कॉम्प्रोमाइज के लिए 15 से 40 हजार तक मिल जाते हैं। विजय इसमें से 15 फीसद कमीशन लेते हैं, लेकिन अगर उन्हें वो लड़च्कच्ीच्अच्छी लगी तो ऐसे ही उससे कमीशन भी नहीं लेते।
विजय ने कहा कि पहले क्लाइंट को खुश करने के तरीके ढूंढते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जा सके, एक्टिंग तो बाद में भी की जा सकती है। इसके बाद विजय रिपोर्टर से उसके आने वाले दिनों के प्लान के बारे में पूछने लगते हैं। वो उसे और फोटो भेजने की मांग भी करते हैं।
दूसरे दिन रिपोर्टर फिर से अंधेरी के एक कॉफी कैफ में विजय से मिलती है और वो रिपोर्टर से कहता है कि उसने कई क्लाइंट से बात कर रखी है, उसे अगले दिन से काम शुरू कर देना चाहिए। यह बात अलग है कि उसने ना तो किसी फिल्मकार और ना ही किसी फिल्म के बारे में बताया।
मयूर (कास्टिंग एजेंट)
ये असिस्टेंट डायरेक्टर भी हैं और नए लड़के-लड़कियों को काम दिलाने का दावा करते हैं। रिपोर्टर ने इनसे शाम 4.30 बजे फन रिपब्लिक के कॉफी कैफे डे में मिली। जब मयूर आए तो रिपोर्टर घबराई हुई दिख रही थी। मयूरे ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है। उसने कहा कि 'अगर तुम सच में काम करना चाहती हो तो तुम्हे कोई नहीं रोक सकता। तुम्हे एक्टिंग के तीन पड़ाव से गुजरना पड़ेगा। मैं पहले तुम्हारा जिक्र मेरी दोस्त से करूंगा वो आगे देखेगा। दूसरे ऑडिशन में अगर डायरेक्टर मेरा परिचित होगा, तब मैं तुम्हारा नाम सुझा दूंगा और कह दूंगा कि तुम इस रोल के लिए परफेक्ट हो। आखिर में अगर डायरेक्टर राजी हो गया तो वो लास्टर ऑडिशन क्लियर करने में तुम्हारी मदद करेगा।
कॉम्प्रोमाइज के बारे में बात करने पर उन्होंने कहा, 'मैं नहीं कहता कि कॉम्प्रोमाइज नहीं होते। कॉम्प्रोमाइज होना पूरी तरह तुम पर निर्भर करता है। अगर तुम ऐसा करना चाहो तो कोई तुम्हें रोक नहीं सकता। तुम खुद ही समझदार हो। मैं ये कहना वाला कोई नहीं होता कि ये सही है या गलत। मैं ऐसी कई लड़कियों से मिल चुका हूं, जो ऐसा करने को तैयार रहती हैं। मैं उन्हें रोकता नहीं और कहता हूं कि तुम आगे बढ़कर अपनी किस्मत आजमा सकती हो।'
इनमें से कई लड़कियां खुद जाकर डायरेक्टर्स के साथ रात बिताती हैं। कुछ तो काम मिल जाता है और कुछ को नहीं मिलता। कुछ लड़कियां इस मामले में मुझसे मदद मांगने आती हैं।मैं इन चीजों में ज्यादा दिमाग नहीं लगाता और काम पर ध्यान देता हूं।'
एडविन मैसे (कास्टिंग एजेंट)
एडविन ने पहले रिपोर्टर को अपने लोखंडवाला के ऑफिस में मिलने के लिए बुलाया, लेकिन उसके बाद किसी कॉफी शॉप में मुलाकात को तैयार हो गए। पहले वे तस्वीरें बगैर देखे मिलने को तैयार नहीं थे, लेकिन बाद में मान गए।
उन्होंने साफ कहा, 'यहां हर तरह के काम होते हैं, क्या तुम कॉम्प्रोमाइज करने के लिए तैयार हो। हर जगह ऐसी डिमांड नहीं होती, लेकिन कुछ जगह होती है।' रिपोर्टर के पूछने पर उन्होंने कहा, 'असिस्टेंट डायरेक्टर और क्रिएटिव डायरेक्टर तुमसे कॉम्प्रोमाइज के लिए कह सकते हैं। अगर तुम उसके साथ सोने को तैयार हो तो उसे तुम्हें काम देने में आसानी होगी।' उन्होंने रिपोर्टर से साफ कहा कि घर जाकर वे कुछ बिकनी वाली तस्वीरें खींच लें और उन्हें भेज दे। इसके बाद जल्द ही कुछ न कुछ हो जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि तस्वीरें किस तरह उत्तेजक होनी चाहिए। उनके पास 1 मार्च को एक असाइनमेंट आने वाला है, वे रिपोर्टर को ध्यान में रखेंगे।
मुकेश ठाकुर (कास्टिंग एजेंट)
मुकेश ठाकुर ने पहले तो फोन पर पूछा कि आप एक्टिंग में क्यों आना चाहती हैं। जब रिपोर्टर ने बताया कि अब तक वे सिर्फ लोगों से मिलती रही हैं, कभी कोई ऑडिशन नहीं दिया है, तो मुकेश कहते हैं, 'लगता है तुमच्बहच्च् अच्छे परिवार से हो।' उन्होंने साफ कहा कि इन सब चीजों में पड़ने का कोई फायदा नहीं है। खुद पर भरोसा रखो और सही लोगों से मिलो। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उनका काम कास्ट का है। बाद में तुम्हारे और डायरेक्टर या प्रोड्यूसर के बीच क्या होता है, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं।
इन कास्टिंग काउच के बारे में कुछ जाने माने निर्माता-निर्देशकों से हमने उनकी प्रतिक्रिया ली।
अली अब्बास जफर गुंडे फिल्म के निर्माता अली अब्बास जफर ने कहा कि ये एक ग्लैमरस दुनिया है, चमचमाती रोशनी के पीछे एक अंधेरी की चादर लिपटी हुई है। सभी यहां बड़े सपने लेकर आते हैं, मुझे लगता है कि इनके सपनों को एक रंग देना हमारा काम है, लेकिन कुछ निर्माता इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। इसे गलत ढंग से पेश करते हैं। काम देना और लेना एक सही प्रक्रिया के तहत हो तो च्याच्च् अच्छा होगा।
सुधीर मिश्रा
सुधीर मिश्रा कहते हैं कि उनका काम फिल्मों को पर्दे पर सही ढंग से उतारना होता है। ये सब उसके काम का हिस्सा नहीं है। उन्हें सही कास्ट चाहिए होती है। इस दौरानच्कुच्च् सच्चच् अच्च् अच्छे रिश्ते बॉलीवुड में अंगड़ाई लेते हैं।
संजय गुप्ता
संजय गुप्ता कहते हैं कि ऐसे बहुत लोग हैं जो इस तरह के काम करते हैं। अगर आप किसी के साथ बिस्तर पर जाने को तैयार हैं तो ये जान लीजिए कि इस तरह काम नहीं मिलने वाला। लोग टेलेंट के बदौलत बहुत आगे जाते हैं और सफलता उनके कदम चूमती है।
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