नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इच्छामृत्यु के एक मामले में दायर याचिका को संविधान पीठ के पास भेज दिया है। यह याचिका गंभीर रूप से बीमार एक मरीज की ओर से दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम के मुताबिक, इस मामले में कोर्ट में कोर्ट द्वारा पहले सुनाया गया मामला स्पष्ट नहीं है। उनके मुताबिक, इस मामले में कोई आदेश नहीं दिया जा रहा है, बल्कि सिर्फ जांच के लिए संविधान पीठ को स्थानांतरित किया जा रहा है।
कोर्ट ने इच्छा मृत्यु को देश में विधि सम्मत बनाने का मुद्दा यह कहते हुए पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया कि मरणासन्न अवस्था में पड़े मरीज से कृत्रिम चिकित्सकीय सहयोग वापस लेने के बारे में उसके पहले के फैसलों पर अलग-अलग विचार हैं। प्रधान न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर कानून की स्पष्ट व्याख्या होना बहुत जरूरी है। इसके बाद पीठ ने यह मुद्दा वृहद संविधान पीठ के पास भेज दिया।
न्यायालय ने कहा कि संविधान पीठ इस मुद्दे के सभी पहलुओं का अध्ययन कर, दिशानिर्देश बनाए जाने के बारे में अंतिम निर्णय देगी। पीठ के दो अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस के सिंह हैं।
गौरतलब है कि यह व्यवस्था पीठ ने एक जनहित याचिका पर दी है, जो कि मरणासन्न अवस्था में पड़े मरीज को कृत्रिम चिकित्सकीय सहयोग जारी न रखने के बारे में थी।
केंद्र ने इस अपील का कड़ा विरोध करते हुए इसे 'आत्महत्या' करार दिया था जिसकी देश में अनुमति नहीं दी जा सकती। आज की व्यवस्था के साथ ही वृहद पीठ न्यायालय के पूर्व के आदेश पर भी पुनर्विचार करेगी, जिसमें दवाओं के जरिये जान लेने (एक्टिव यूथनेशिया) का आग्रह खारिज कर दिया गया था।
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