शनिवार, अक्टूबर 12, 2013

सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म की श्रेणी में 'फेलिन'

नई दिल्ली। बंगाल की खाड़ी से उठा फेलिन नामक उष्णकटिबंधीय चक्रवात तेजी से आंध्र और ओडिशा के तट की ओर बढ़ रहा है। ऐसे चक्रवात की उत्पति नम हवा के ऊपर उठने एवं उसमें मौजूद जलवाष्प के संघनन से होती है। इसके कारण शक्तिशाली हवाएं उठती हैं और मूसलाधार बारिश होती है। हवा का वेग इतना ताकतवर होता है कि यह समुद्र के तटवर्ती इलाकों में भारी तबाही मचाता है। इसकी वजह से तट से 40 किलोमीटर की दूरी तक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात की तीव्रता को हवा की रफ्तार के हिसाब से अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब हवा की रफ्तार 62 से 87 किमी प्रति घंटा की होती है तब इसे चक्रवाती तूफानकहा जाता है। यही रफ्तार जब 88 से 117 किमी प्रति घंटे की होती है तब इसे गंभीर चक्रवाती तूफान माना जाता है। जब हवा की रफ्तार 118 से 221 किमी प्रति घंटा होती है तब इसे अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफानकहलाता है और जब हवा की रफ्तार 222 किमी प्रति घंटा को पार करती है तब इसे सुपर चक्रवाती तूफान कहा जाता है। फेलिन को इसी श्रेणी में रखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसमें हवा की रफ्तार 220 से 240 किमी प्रति घंटा हो सकती है।
तूफान को मापने वाले साफिर-सिम्पसन स्केल के अनुसार तूफान की रफ्तार की गंभीरता को पांच श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में हवा की रफ्तार 119-153 किमी प्रति घंटा, दूसरी श्रेणी में 154-177 किमी प्रति घंटा, तीसरी श्रेणी में 178-208 किमी प्रति घंटा, चौथी श्रेणी में 209-251 किमी प्रति घंटा और 252 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली हवा को पांचवी श्रेणी में रखा गया है। अगर तुलना करें तो फेलिन चक्रवात को चौथी श्रेणी में रखा जा सकता है।
1. 11 नंवबर 1970 : पूर्वी पाकिस्तान और भारत के पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से में आए दुनिया के सबसे विनाशकारी चक्रवाती तूफान 'भोला' में लगभग पांच लाख लोगों की मौत हुई थी। हजारों जानवर मारे गए और लाखों पेड़ नष्ट हो गए थे। इस तूफान में हवा की रफ्तार लगभग 300 किमी प्रति घंटे की थी।
2. 9 नवंबर 1977 : आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में आए तूफान ने भी जबरदस्त मचाई। इस तूफान में करीब 10 हजार लोग मारे गए थे।
3. 29 अप्रैल 1991 : बांग्लादेश में एक बार फिर 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफान आया था। इसके कारण समुद्री में छह मीटर ऊंची लहर उठी थी जिसने चिटगांव में सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इस तूफान में लगभग डेढ़ लाख लोग मारे गए।
4. 25 अक्टूबर 1999 : बंगाल की खाड़ी में उठे दूसरे सबसे भयानक तूफान ने उड़ीसा में भयंकर तबाही मचाई। यह पांचवी श्रेणी का तूफान था, जिसने समुद्र तट से 20 किमी अंदर तक प्रभाव डाला। सबसे भयंकर तबाही जगतसिंह पुरा जिले में हुई। आठ मीटर ऊंची लहर अपने साथ सबकुछ बहाकर ले ले गई। इस प्राकृतिक आपदा में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
5. 27 अप्रैल 2008 : म्यांमार में आए निरगिस तूफान ने करीब डेढ लाख लोगों की जिंदगी लील ली। चौथी श्रेणी के इस तूफान में हवा की रफ्तार 215 किमी प्रति घंटे थी।

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