लखनऊ उत्तर प्रदेश में दंगों के बाद राजनीतिक संतुलन साधने को सपा सरकार ने निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर मंत्रिपरिषद में जगह दे दी है। राज्यपाल बीएल जोशी ने शुक्रवार को राजभवन में उनको मंत्री पद की शपथ दिलाई।
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के इस शपथ ग्रहण समारोह में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव तथा आजम खां भी मौजूद थे।
इसी वर्ष मार्च में प्रतापगढ़ के कुंडा में पुलिस क्षेत्राधिकारी जियाउल हक की हत्या के मामले में नाम आने पर राजा भैया को मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था। मंत्रिपरिषद विस्तार का फैसला कल आनन-फानन में हुआ और राजस्थान गए राज्यपाल बीएल जोशी को विशेष विमान से बुलाया गया। डेढ़ साल पुरानी अखिलेश यादव सरकार का चौथा मंत्रिपरिषद विस्तार होगा। राजा भैया के मंत्रिपरिषद में शामिल होने की बुनियाद आजम खां व रघुराज के बीच मुलाकात में ही रखी गयी थी। इसके बाद ही दैनिक जागरण ने लिखा था कि रघुराज के मंत्रिपरिषद में शामिल होने की राह खुल गई है।
उल्लेखनीय है कि लगातार पांच बार बार से कुंडा विधानसभा से चुनाव जीतने वाले निर्दलीय विधायक राजा भैया अखिलेश सरकार में खाद्य रसद तथा कारागार मंत्री थे। बीते मार्च में डीएसपी जिया उल हक की कुंडा में हुई हत्या के मामले में डीएसपी की पत्नी ने राजा भैया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके चलते राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। डीएसपी हत्याकांड की सीबीआइ जांच में राजा भैया को निर्दोष बताया गया।
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पहली बार सन 1993 में कुंडा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रिकॉर्ड मतों से जीते थे। इसके बाद से अभी तक वह लगातार जीतते आ रहे हैं। 2002 में मायावती की अगुवाई में बसपा-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तो राजा भैया को मंत्री नहीं बनाया गया। बगावत करते हुए निर्दलीय विधायकों के अगुवा बन राजा भैया ने 25 अक्टूबर, 2002 को मायावती सरकार से समर्थन ले लिया था।
बृजभूषण ने लौटाया सपा का टिकट :
ठाकुर वोट संभालने में जुटी सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। कैसरगंज सीट से सपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने सपा प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि वह भाजपा में लौट जाएंगे। बृजभूषण 1991 और 1999 में भाजपा के टिकट पर गोंडा से और 2004 में बलरामपुर से लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं और 1996 में जब हवाला कांड में नाम आने के बाद उनका टिकट कटा तो उनकी पत्नी केतकी सिंह भाजपा के टिकट पर गोंडा से चुनी गई थीं। वर्ष 2008 में परमाणु समझौते को लेकर लोकसभा में शक्ति परीक्षण के समय उन्होंने पाला बदल लिया था और 2009 में सपा के टिकट पर कैसरगंज सीट से चुने गए।
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