
इन्हें मिला टिकट
ग्वालियर से नरेंद्र सिंह तोमर, मैसूर से प्रताप सिन्हा, विदिशा से
सुषमा स्वराज, इंदौर से सुमित्रा महाजन। इनके अतिरिक्त यशवंत सिन्हा के
बेटे और फग्गन सिंह कुलस्ते को भी लोकसभा चुनाव का टिकट मिला है। वहीं
प्रिया दत्त के खिलाफ पार्टी ने पूनम महाजन को टिकट दिया है। कर्नाटक से
पार्टी ने पांच उम्मीदवार तय किए हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, दार्जिलिंग से एसएस आहलूवालिया और राजद छोड़कर
भाजपा में शामिल हुए रामकृपाल यादव को पार्टी ने पाटलिपुत्र से चुनाव
लड़ाने का निर्णय लिया है। वहीं, पार्टी के लिए एक अच्छी खबर यह भी है कि
कर्नाटक में बी. श्रीरामलू की पार्टी बीआरएस कांग्रेस का भाजपा में विलय
होने जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सुषमा के विरोध को खारिज करते हुए
पार्टी ने यह फैसला लिया है।बैठक के दूसरे चरण में झारखंड व हरियाणा के नामों पर चर्चा
चुनाव समिति की बैठक में भाजपा 11 राज्यों के प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा हुई। दो बजे तक चली बैठक के पहले चरण में छत्तीगसढ़, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सीटों पर चर्चा हुई। शाम चार बजे समिति की दूसरे चरण की बैठक शुरू हो गई, जिसमें झारखंड और हरियाणा के प्रत्याशियों पर चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक, विवादों में घिरी वाराणसी, लखनऊ और कानपुर की सीट पर इस बैठक में चर्चा नहीं हुई। बैठक में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी समेत अन्य वरिष्ठ नेता हिस्सा लिया। पार्टी ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड की लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा भी की।
क्या है वारणसी से मोदी को उतारने के सियासी समीकरण
धार्मिक समीकरण
संघ मोदी के जरिये हिंदुत्व के मुद्दे को काशी से नया आधार देना चाहता
है। उनके एजेंडे में पहले से ही अयोध्या, मथुरा और काशी है। काशी हिंदुत्व
का सबसे बड़ा केंद्र है।
सीटों के समीकरण
वाराणसी सीट के जरिये मोदी की नजर पूर्वांचल की 32 लोकसभा सीटों पर भी
है। इन सीटों में से अभी 10 सपा, 10 बसपा, 8 कांग्रेस और 4 भाजपा के पास
है। 1998 में अटल लहर में भाजपा ने पूर्वांचल की 24 सीटें जीती थी। जो
बाद में 4 पर सिमट गई। संघ का सोचना है कि मोदी यहां से लड़ते हैं तो न
केवल
पूर्वांचल की 32 सीटों और शेष यूपी में भाजपा को फायदा होगा, बल्कि
बिहार की उन 11 सीटों पर भी माहौल बनेगा जो वाराणसी से लगी हुई हैं।
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