पढ़िए, क्या है बसपा की रणनीति
एक साल से ज्यादा समय से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी बसपा ने आखिरकार अपने आधे सांसदों को टिकट न देने का फैसला किया है।
इनमें तीन लोगों के स्थान पर उनके परिवार वालों को आजमाने की रणनीति अपनाई गई है, जबकि दो सांसद दूसरे दल से चुनाव मैदान में नजर आ सकते हैं।
बसपा ने 15वीं लोकसभा चुनाव में यूपी से 20 सीटें जीती थीं। ये चुनाव तब हुए थे जब बसपा सूबे की सत्ता में थी। अब 16वीं लोकसभा चुनाव बदले हालात में हो रहे हैं।
एक तो पार्टी यूपी की सत्ता से बाहर है, वहीं पिछले दिनों चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में उम्मीद के हिसाब से कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में मायावती कड़े-से कड़े फैसले लेने में भी नहीं हिचक रही हैं।
इनमें तीन लोगों के स्थान पर उनके परिवार वालों को आजमाने की रणनीति अपनाई गई है, जबकि दो सांसद दूसरे दल से चुनाव मैदान में नजर आ सकते हैं।
बसपा ने 15वीं लोकसभा चुनाव में यूपी से 20 सीटें जीती थीं। ये चुनाव तब हुए थे जब बसपा सूबे की सत्ता में थी। अब 16वीं लोकसभा चुनाव बदले हालात में हो रहे हैं।
एक तो पार्टी यूपी की सत्ता से बाहर है, वहीं पिछले दिनों चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में उम्मीद के हिसाब से कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में मायावती कड़े-से कड़े फैसले लेने में भी नहीं हिचक रही हैं।
किन सीटों से नहीं होंगे मौजूदा सांसद
बाकी पार्टियां जहां आंख मूंदकर मौजूदा सांसदों पर दांव लगाने को तैयार नजर आ रही हैं, बसपा ने 20 में से 10 सांसदों को इस लोकसभा चुनाव में मौका न देने का फैसला कर लिया है।
क्षेत्र में निष्क्रियता, संगठन से तालमेल में कमी, पार्टी लाइन से भटकने अथवा खराब छवि व जीत की कम संभावना जैसे कारणों से बसपा ने अलीगढ़, बस्ती, देवरिया, सलेमपुर, भदोही, जौनपुर, संभल, हमीरपुर, कैराना व गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्रों से मौजूदा सांसदों को टिकट न देकर उनके स्थान पर दूसरे लोकसभा प्रभारी उतारे जा चुके हैं।
हालांकि इनमें से तीन सांसदों के स्थान पर उनके ही परिवार के लोग उतारे गए हैं। बसपा में लोकसभा प्रभारी को ही प्रत्याशी बनाए जाने की परंपरा है। पहले चरण की अधिसूचना जारी होने के आसपास पार्टी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर सकती है।
क्षेत्र में निष्क्रियता, संगठन से तालमेल में कमी, पार्टी लाइन से भटकने अथवा खराब छवि व जीत की कम संभावना जैसे कारणों से बसपा ने अलीगढ़, बस्ती, देवरिया, सलेमपुर, भदोही, जौनपुर, संभल, हमीरपुर, कैराना व गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्रों से मौजूदा सांसदों को टिकट न देकर उनके स्थान पर दूसरे लोकसभा प्रभारी उतारे जा चुके हैं।
हालांकि इनमें से तीन सांसदों के स्थान पर उनके ही परिवार के लोग उतारे गए हैं। बसपा में लोकसभा प्रभारी को ही प्रत्याशी बनाए जाने की परंपरा है। पहले चरण की अधिसूचना जारी होने के आसपास पार्टी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर सकती है।
हो रहे कैसे-कैसे खेल...
बस्ती के सांसद अरविंद चौधरी अपने चाचा राम प्रसाद चौधरी के लिए पीछे हट गए तो अलीगढ़ की सांसद राजकुमारी सिंह अपने बेटे अरविंद सिंह को सांसद बनते देखना चाह रही हैं।
कैराना की वर्तमान सांसद बेगम तबस्सुम हसन की जगह बसपा को उनके देवर कमर हसन पर इसलिए दांव लगाना पड़ रहा है क्योंकि तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन सपा से प्रत्याशी बन गए हैं।
भदोही से पूर्व उच्च शिक्षामंत्री राकेशधर त्रिपाठी को मौका देने के लिए वर्तमान सांसद गोरखनाथ पांडेय को बैठा दिया गया है।
माना जा रहा है कि जीत-हार के अन्य समीकरण को देखने के बाद अन्य मौजूदा सांसदों का पत्ता काटा गया है।
सलेमपुर के मौजूदा सांसद रमाशंकर राजभर को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के रिश्ते में पोते एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू के लिए सीट छोड़नी पड़ी है।
कैराना की वर्तमान सांसद बेगम तबस्सुम हसन की जगह बसपा को उनके देवर कमर हसन पर इसलिए दांव लगाना पड़ रहा है क्योंकि तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन सपा से प्रत्याशी बन गए हैं।
भदोही से पूर्व उच्च शिक्षामंत्री राकेशधर त्रिपाठी को मौका देने के लिए वर्तमान सांसद गोरखनाथ पांडेय को बैठा दिया गया है।
माना जा रहा है कि जीत-हार के अन्य समीकरण को देखने के बाद अन्य मौजूदा सांसदों का पत्ता काटा गया है।
सलेमपुर के मौजूदा सांसद रमाशंकर राजभर को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के रिश्ते में पोते एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू के लिए सीट छोड़नी पड़ी है।
दागी धनंजय और बर्क का भी पत्ता साफ
जौनपुर से मौजूदा सांसद धनंजय सिंह का टिकट नौकरानी हत्याकांड में फंसने की वजह से काटा गया है।
काफी समय तक इंतजार के बाद भी जब धनंजय को जमानत नहीं मिल सकी तो पार्टी ने बसपा सरकार में संस्कृति मंत्री रहे सुभाष पांडेय को आजमाने का फैसला किया।
वहीं, हमीरपुर से सांसद विजय बहादुर सिंह को भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तरफदारी की वजह से मायावती ने पार्टी से ही निकाल दिया था। उनके स्थान पर राकेश गोस्वामी मैदान में होंगे।
संभल के मौजूदा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क सपा का दामन थाम चुके हैं। वे अब बतौर सपा प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे। बसपा ने यहां से अकीलुर्रहमान पर दांव लगाया है।
काफी समय तक इंतजार के बाद भी जब धनंजय को जमानत नहीं मिल सकी तो पार्टी ने बसपा सरकार में संस्कृति मंत्री रहे सुभाष पांडेय को आजमाने का फैसला किया।
वहीं, हमीरपुर से सांसद विजय बहादुर सिंह को भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तरफदारी की वजह से मायावती ने पार्टी से ही निकाल दिया था। उनके स्थान पर राकेश गोस्वामी मैदान में होंगे।
संभल के मौजूदा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क सपा का दामन थाम चुके हैं। वे अब बतौर सपा प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे। बसपा ने यहां से अकीलुर्रहमान पर दांव लगाया है।
ये मौजूदा सांसद बसपा से नहीं होंगे मैदान में
- अलीगढ़ से राजकुमारी सिंह
- बस्ती से अरविंद चौधरी
- देवरिया से गोरख प्रसाद जायसवाल
- सलेमपुर से रमाशंकर राजभर
- भदोही से गोरखनाथ पांडेय
- जौनपुर से धनंजय सिंह
- संभल से शफीकुर्रहमान बर्क
- हमीरपुर से विजय बहादुर सिंह
- गौतमबुद्ध नगर से सुरेंद्र सिंह नागर
- कैराना से बेगम तबस्सुम हसन
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